तितली
पत्तों पर बैठी एक छोटी सी तितली
सुबह सुबह देखी अनोखी सी तितली
वो पर फैलाये उड़ने की कोशिश में थी
वो दुनिया को पाने की ख्वाहिश में थी
दिन गुजरने लगा, वो सहम सी गयी
किसी और के लिए वो ठहर सी गयी
पर चमक एक मन में थी उसके दबी
वो थकी थी मगर हारी नही थी अभी
दिन नया आएगा, नयी होगी उमंग
वो भी उडती फिरेगी हवाओं के संग
न कोई रोक होगी, न कोई अडचनें
बस ऊँचाइयाँ होंगी उसके सामने
वो पर फैलाये दुनिया को चूमती फिरेगी
वो आसमानों तक की सैर करेगी
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