चांद और मैं
मेरी खिड़की पे, आके यूं ठहर जाना तेरा
सुबह ढलते हुए, शाम चढ़ते हुए
करके शैतानियां, अपनीं मनमानियां
काम सब छोड़ के, सबसे मुंह मोड़ के
छींटें यू़ं मार के, छुपना छुपाना तेरा
छींटें यूं मार के, छुपना छुपाना तेरा
मेरी खिड़की पे आके, यूं ठहर जाना तेरा
टकटकी बांध के, फिर मुझे देखना
कभी इस छोर से,कभी उस छोर से
मेरा घर झांकना,मुझको यूं ताकना
मुझसे पूछे बिना, मुझपे ही हक जताना तेरा
मुझसे पूछे बिना, मुझपे ही हक जताना तेरा
मेरी खिड़की पे आके, यूं ठहर जाना तेरा
तू है नटखट बड़ा,तू गगन मैं धरा
पर ऐ चंदा तू सुन, मैं निखर जाती हूं
प्यार बरसे तेरा, मैं संवर जाती हूं
और तेरी चांदनी की बरसात में,सब भुला करके यूं भीग जाना मेरा
और तेरी चांदनी की बरसात में,सब भुला करके यूं भीग जाना मेरा
मेरी खिड़की पे आके, यूं ठहर जाना तेरा
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