Monika Gautam   (मोनिका गौतम)
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कलम...जो दिल का हाल बयां कर दे
Joined 18 August 2017


कलम...जो दिल का हाल बयां कर दे
Joined 18 August 2017
13 SEP 2017 AT 19:40

चांद और मैं

मेरी खिड़की पे, आके यूं ठहर जाना तेरा
सुबह ढलते हुए, शाम चढ़ते हुए
करके शैतानियां, अपनीं मनमानियां
काम सब छोड़ के, सबसे मुंह मोड़ के
छींटें यू़ं मार के, छुपना छुपाना तेरा
छींटें यूं मार के, छुपना छुपाना तेरा
मेरी खिड़की पे आके, यूं ठहर जाना तेरा
टकटकी बांध के, फिर मुझे देखना
कभी इस छोर से,कभी उस छोर से
मेरा घर झांकना,मुझको यूं ताकना
मुझसे पूछे बिना, मुझपे ही हक जताना तेरा
मुझसे पूछे बिना, मुझपे ही हक जताना तेरा
मेरी खिड़की पे आके, यूं ठहर जाना तेरा
तू है नटखट बड़ा,तू गगन मैं धरा
पर ऐ चंदा तू सुन, मैं निखर जाती हूं
प्यार बरसे तेरा, मैं संवर जाती हूं
और तेरी चांदनी की बरसात में,सब भुला करके यूं भीग जाना मेरा
और तेरी चांदनी की बरसात में,सब भुला करके यूं भीग जाना मेरा
मेरी खिड़की पे आके, यूं ठहर जाना तेरा

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12 APR 2021 AT 15:03

मेरी छोटी सी गुड़िया, मेरी खुशियों की पुड़िया
तुम रंगों के संग आयी और रंग भर दिया जीवन मे
वैसे तुम मेरी बहन हो, पर बेटी सी मेरे मन मे
वोही लंबी फ़्रॉक पहने हुए और छोटे छोटे बाल तेरे
मम्मी की चमची, पापा की दुलारी
ओर सबसे ज्यादा मुझसे डरे
मुझसे पढ़ना मुझसे लड़ना,
तुम याद कर लो हम पेपर दे देंगे ये कहना
हम बड़े हुए बचपन छूटा, पर तेरे संग बचपना है
तुझे मेरी सारी खुशी मिले, बस यही रब से कहना है
हम जिन सालों साथ नहीं रहे, तुम मम्मी पापा की माँ बाप बनी
तुमने सारी ज़िम्मेदारी खुद पे ली, तब जाके मेरी लाइफ बनी
तुम क्या हो, तुम्हे भी पता नही, हम बोलेंगे तो रो देंगे
हम लिखते हैं तुम पढ़ लेना बस यही तुमसे कहते है
मेरी जान हो तुम बस समझना यही
तुम खुश हो तो धड़कन चलती है
तुम आज भी मेरी नन्ही परी
हर दुआ दिल से तेरे लिए निकलती है
अब आंखे थोड़ी धुंधला गयी,
इसके आगे अब लिखना हो न पायेगा
बस तुमसे इतना कहना है
मेरी जान तुम्हारी जगह कहां कोई ले पायेगा
I love you pujju❤️

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14 JAN 2021 AT 9:26

तिल के लड्डू के संग
चारो ओर झूम रही है
डोरी संग पतंग
सोंधी खुशबू शकरकंद की
और खिचड़ी की घी से लबालब कांति
मेरी तरफ से सबको शुभ मकरसंक्रांति

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30 SEP 2020 AT 21:28

या तो इतनी इज्जत न बख्सी होती
की तेरी बेरूखी हम सह न सके

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30 SEP 2020 AT 21:26

जिसके नाटक को भी हमने सच समझ कर जिया
आज उसने कह दिया ये नाटक बंद करो

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30 SEP 2020 AT 15:20

अग़र उलझन है तो रख लो दबा के
अगर है घाव तो छुपा लो
जो सोचते हो दिखा के बता के दर्द कम होगा
यकीं मानो घुटन में सिर्फ इजाफा ही होगा

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11 SEP 2020 AT 11:09

Life is too short to explain...it's all about trust.

Vaastavikta or dikhava....
Vaastavikta karele ke samaan kadvi hoti h kintu dikhava jahar ke samaan jaanleva

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20 MAY 2020 AT 22:41

चार दीवारी की ये क़ैद,
कल तक लोग ढेरो पैसे खर्च के, देश विदेश घूमते थे।
और आज, ढेरो पैसे खर्च के बस घर आने को बेताब हैं।
कुछ हैं जो इसे तहे दिल से जी रहे हैं,
और कुछ है जो हमेशा की तरह अभी भी रो रहे हैं।
वैसे मुझे तो अच्छा लगा ये,
मेरी समझ से तो ये लोगो को करीब लाने के लिए,
गंगा को पवित्र बनाने के लिए,
पंछियों को खुल के उड़ना सिखाने के लिए,
और दुनिया को फिर से खूबसूरत बनाने के लिए,
प्रकृति द्वारा रचा एक अनोखा षड्यंत्र है।
पर जो भी है अगर मैं इसकी नकारात्मकता न देखूं,
तो सब कुछ सकारात्मक है।
इस कोरोना में भी कुछ सोचने लायक है।
और लॉक डाउन भी आपके लिए भावनात्मक है।

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28 SEP 2019 AT 20:54

क्या तुम्हारी छवि नहीं मुझमें
क्या लोग मुझे देखकर तुम्हे याद नहीं करते,
हंसी आती है मुझे इस बात पर,
कि तुम दूर हो फिर भी क्यूं ही मुझमें हो बसते।

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28 SEP 2019 AT 0:33

सूरत ही नहीं काफी है।

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