जब लता मंगेशकर की मुलाक़ात दिनकर जी से होती है
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पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा-
मस्जिदों के मनारों ने देखा उन्हें
मंदिरों के किवाड़ों ने देखा उन्हें
मय-कदों की दराड़ों ने देखा उन्हें
इक चमेली के मंडवे-तले
मय-कदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर
दो बदन
प्यार की आग में जल गए-
हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गायेगा
दीवाना सैंकड़ों में पहचाना जायेगा
आप हमारे दिल को चुरा के आँख चुराये जाते हैं
ये इक्तरफ़ा रसम-ए-वफ़ा हम फिर भी निभाये जाते हैं
चाहत का दस्तूर है लेकिन, आप को ही मालूम नहीं
जिस महफ़िल में शमा हो, परवाना जायेगा
दीवाना सैंकड़ों में पहचाना जाएगा-
इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम सारी रात जागे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे
क्या कहें, कुछ कहा नहीं जाए
बिन कहे भी रहा नहीं जाए
रात भर करवट बदलते
दर्द-ए-दिल का सहा नहीं जाए
नींद मेरी आँखों से दूर दूर भागे
अल्लाह जाने क्या होगा आगे
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Did you know?
Lata Mangeshkar was born
as 'Hema ', and later renamed
as Lata based on the character
'Latika' from one of her
father’s plays- "Bhaaw Bandhan".-
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे
कभी सुख कभी दुख
यही ज़िंदगी है
ये पतझड़ का मौसम
घड़ी दो घड़ी है
नये फूल कल फिर
डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे-