देखा नहीं जाता
तुझे खुद से दूर होते हुए,
पास तो तुम्हीं आये थे न,
नजदीकीयाँ तुम्हीं ने बढ़ाई थी न,
इन आँखों को सपने तुम्हीं ने दिखाये थे न,
कमाल के चोर निकले तुम तो ,
दिल के साथ-साथ सपनें भी चुरा ले गए।-
मानो रेगिस्तान में बाढ़।
बड़ा हीं पक्का रिश्ता है मेरा शब्दों से,
मेरे जज़्बातों को पन्नों पे बिखेर जाता है,
मेरी सोच को कविता के रूप में सजाता है,
यदि कोई गम तो शायरी में निखर आता है,
बचपन की याद आये तो कहानी बन जाता है,
प्रेमी का खयाल आये तो खत पे उत्तर जाता है,
भले सुख हो या दुख ये सूने पन्नों को सजता है,
यह शब्द हीं तो है जो मेरे जिंदगी में रंग लाता है।-
तू ही आशा...!
तू ही निराशा...!!
प्रेम का आधार तू...!
जग में प्यारी तेरी महिमा...!!
जीवन का आधार तू...!
कोई ना जान पाए तेरी लीला...!
जग में तेरा नाम है...!!
हम मनुष्य क्या जाने...?
तुहि पूरा संसार है...!
कण-कण में निवाश तेरा...!
कोई न स्थान है...!!
मै कहा जाऊ पूजने तुझे...?
तू तो हर जगह विधमान है....!!-
जो लोग इश्क और मोहब्बत को खिलौना समझते हैं
खुदा भी एक दिन उनकी मोहब्बत और इश्क को तबाह करते हैं।-
तोड़ो इस दिल को और तोड़ो,
टुकड़ो-टुकड़ो में कर दो,
इतना तोड़ो के कभी जुड़ने न पाए,
कभी फिर इश्क़ के राह न चल पाए,
क्योंकि अगर ये नहीं टूटा,
तो ये मुझे तोर कर रख देगा।
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उफ़ ये चाय !!
गली वाली चाय,मोहल्ले वाली चाय।
बस्ती वाली चाय,मस्ती वाली चाय।
सुबह वाली चाय,शाम वाली चाय।
टेंशन वाली चाय,पेंशन वाली चाय।
गर्मी वाली चाय,शर्दी वाली चाय।
बरशात वाली चाय,मुलाकात वाली चाय।
नुक्कड़ वाली चाय,दफ़्तर वाली चाय।
जुनून वाली चाय,शुकून वाली चाय।
जनाब इसी बात पर एक कप चाय हो जाए !!-
आज़ाद करदे आज, जी लेने दे इस मंज़र को,
आंखों की तपिश, मिट जाने दे,
हो जाऊं, तेरी पनाह में गुमसुदा आज मैं,
बेगानी इस शाम को, खास बन जाने दे,
मिले न फिर, तेरी पनाहों में ये मौका,
रहने दे मुझको, यहीं कहीं खो जाने दे,
लिपटी रहूँ मैं तुझसे, इस थिरकती से मौशम मैं,
वक़्त को शरमाकर, चुपके से निकल जाने दे।
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,मैं सुनहरे सुबह का आगाज करूँ,
तारों को झोली में भरकर,
चन्द्रमाँ की थोड़ी चांदनी माँग लूँ,
सूरज की थोड़ी लालिमा लेकर,
मैं मेरे चाँद का श्रृंगार करूँ !!!-
आशियाँ बनाने के सपने देखे थे तेरे संग,
हालात अब कुछ ऐसी है कि,
किराये के मकान में भी मेरे दिन कट जाते हैं।-