मैं गलती बहुत ही संगीन कर बैठा
वह झूठ बोली और मैं यकीन कर बैठा
रातभर किसी और से बातें करती रही
और मैं उसकी याद में राते रंगीन कर बैठा
अंदर से खोदने लगे वो लोग ही मुझे
जिनके नाम मैं अपने दिल की जमीन कर बैठा
उसे भूले बिना ही लगा लिया किसी और से दिल
आकाश यह गलती तू फिर बड़ी हसीन कर बैठा
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