कोटा से हमारा रिश्ता है कुछ अनोखा।
समय ऐसे बीता जैसे हवा का झोंका॥
याद आती है वह कोटा की कचौरी।
जो भूख अक्सर करती थी पूरी॥
संग होते थे जब वो कुछ यार।
बस वही तो था कोटा का सार॥
बेंच बजाकर ही कर लेते थे मनोरंजन।
अक्सर करते थे नियमों का उल्लंघन॥
क्लास के बीच खाने में मजा बड़ा आता था।
बोरियत भरे लेक्चर की नींद से यही तो बचाता था॥
वो सिटी मॉल की यादें हैं कुछ खास।
जो हमेशा रहती है दिल के पास॥
अवसाद को भी बहुत झेला है हमने।
उससे खुद उभरना भी सीखा है हमने॥
अकेले कमरे मैं बैठकर रोए भी है।
अपने सपनों की दुनिया में खोए भी है॥
एक दिल के कोने मैं है कुछ खालीपन।
हां मगर यादों में भी है अपनापन॥
पराया होकर भी शहर वो लगता है अपना।
दूर होते ही जैसे टूट गया कोई सपना॥
कोटा से हमारा रिश्ता है कुछ अनोखा।
समय ऐसे बीता जैसे हवा का एक झोंका
❤️""नितांशी""❤️-
उमीद के किरण ले कुछ पाने चला
जूनून की लॉह अपने अंदर जलाने चला
अपनी दुखों से सीच तस्वीर बनाने चला
सुरज की गर्मी है अंदर सोने की चमक पाने चला
जी हां साहेब बड़ी मुश्किल से कुछ बनने कोटा चला
(Read in caption)-
तुम सेवन वंडर्स की शानदार शाम हो
मैं चंबल का सदाबहार सुबह प्रिये
तुम Cafe coffee Day की आनन्ददायक cofee हो
मैं बाबू का Hot special Tea प्रिये
तुम अमर पंजाबी की स्पेशल डिश हो
मैं पाठक का स्टार्टर प्रिये
हम कहां गट्टे की सब्जी
तुम मटर पनीर प्रिये
हम पंखा से काम चलाते
तुमको एसी भी कम पड़ जाते
तुम लैंडमार्क की शाम की 5 से 7 हो
मैं कहां दोपहर की चिलचिलाती धूप प्रिये
तुम सिटी मॉल में जाते
हम रोड साइड के शर्मा जी से काम चलाते
तुम वो Hanging Bridge की जंप हो
मैं जवाहर नगर का नाले वाला bridge प्रिये
तुम ओला की कैब हो
मैं पांव पैदल प्रिये
तुम एसी कोच में जाते
हमको स्लीपर के भी है लाले प्रिये
तुम हकीकत से दूर एक अनसुलझी ख्वाब हो
मैं खुद में उलझा हूं एक हकीकत प्रिये-