कागज़ो में धरी रह गई मेरी इश्क़ की कारवाई,
जिन्हें कभी खत का नाम दिया जाता था...-
सहुलियत से रिश्ते बने का दौर है जनाब,
जज़्बात के लिए वक्त ही किसके पास है....-
मेरी एक बात तुम याद जरूर रखोगे,
बातों में ही सही, हमे याद जरूर रखोगे...-
बदलते हालातों में मिजाज बदलते है,
तेवर नहीं,
गुजरते वक्त के साथ कलैंडर बदलते है,
लोग नहीं...-
दिक्कत नहीं उन्हें, तुम्हारी आवाज उच्ची होने से,
दिक्कत है उन्हें, तुम्हारे आवाज का सच होने से..-
थोड़े सुकून कि गुज़ारिश है तुमसे,
गले लगने की फरमाइश है तुमसे..
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यूं तो कई नाम है मेरे, मगर अक्सर तोहफा कहलाता हूं,
कोई सीमा नहीं मेरी, मैं हर उम्र के लोगो को भाता हूं,
कभी दबे पांव चुपके से, या फिर इंतजार का इंतकाम बनकर आता हूं..
जब भी आता हूं तो चहेरो पर मुस्कुराहट बिखेर जाता हूं..
रंग बिरंगे कपड़ो में साज सवार कर
रिश्तों को मजबूत करने में आता हूं,
मेरा कोई रंग नहीं, कोई रूप या कोई आकर निश्चय नही,
हकदार को मिलने से पहले मैं उसकी कल्पना बन जाता हूं...
बच्चों को अक्सर मैं बड़ा ही पसंद आता हूं,
काम ऐसा है मेरा की बड़ो को भी पलभर में बच्चा बना जाता हूं..
शिद्दत से गर दिया जाए तो याद बन जाता हूं..
फिर ताउम्र मैं एक तोहफा ही कहलाता हूं...-
सड़के चौड़ी होती गई, गलियां खत्म होती गई..
यादों की यारियां, वक्त के मोड़ में जब्त होती गई..-
हर दिन उनका ख्याल कुछ इस हद तक होता है,
की उनके ख्याल से ही अब हमारा दिन होता है....-
दूर से मैने उनको आते हुए देखा...
पास आते हुए देखा..
गुजरते हुए भी देखा..-