Kunal Singh Solanki   (Kü|\|@L)
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Joined 27 July 2018


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Joined 27 July 2018
14 FEB AT 21:42

अब ऐसा नहीं है की तुम्हारी याद नही आती है,
इक तस्वीर महफूज़ रखी है तुम्हारी,
मगर वो तस्वीर अब मेरे हाथ नही आती है...

गौर करु तो उस तस्वीर का पता एक दराज मालूम पड़ता है...
मगर उस दराज की चाबी कहां रखी है...याद नही आती है...

रोज की उलझने मुझे चंद मिनटों में घेर लेती है,
वो तस्वीर, दराज और चाबी मुझसे मुंह फेर लेती है,

कभी कोई रसीद या फाइल की तलाश में,
वो नाराज़ चाबी मुझसे मिल जाती है,
मगर क्यू संभाली है अब तक, यह बात याद नहीं आती है...

फिर किसी थकी शाम को,
नींद इस बोझिल मन को,
रात से पहले जब अपने पास बुलाती है,
ज़बान पर जिक्र होकर,
यही बात ख्वाब बन जाती है,
की अब ऐसा नहीं की तुम्हारी याद नहीं आती है...

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24 JAN AT 10:01

ज़ाएका ए जिंदगी बेहद ही फीकी गुज़र रही,
जरा इसको नमकीन बनाने तुम आओगी क्या?

बेस्वाद सी है, रोज की सुबह और शामे मेरी,
अपने तीखे तेवर का तड़का इनमें लगाओगी क्या?

मुझे चखना है मिठास तुम्हारे लबों की...
ऐसी शुगर फ्री एहसास की तुम इजाज़त दोगी क्या?

ए हमसफर, तु इकलौता फलसफा है मेरी सभी उलझनों का..
सुलझा कर तमाम मसले मेरे, सफर को मसालेदार बनाओगी क्या?

ख्वाबों में तुम्हारी चटपटी सी दस्तक तो अब हर शब है होती..
हकीकत में चाशनी सा मेरी बाहों में घुलने तुम आओगी क्या??

वक्त की धीमी आंच पर, दावत ए इश्क रखी है मैंने,
इकरार कर तुम भी अपने दिल ए जज्बात,
इस तारीख को जश्न ए ख़ास बनाने आओगी क्या???

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12 JAN AT 15:16

ज़हन ए आरज़ू हुई, कोई हमे बांध ले...
दिल ए तमन्ना जगी, गुजरते वक्त को कोई थाम ले..

लौटा हूं, मुखातिब इक अजीज से होकर ए शहर मेरे,
एक दिन के लिए ही सही, मुझे तू सबसे अमीर मान ले..

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12 JAN AT 15:06

ज़हन ए आरज़ू हुई, कोई हमे बांध ले...
दिल ए तमन्ना जगी, गुजरते वक्त को कोई थाम ले..

लौटा हूं, मुखातिब इक अजीज से होकर ए शहर मेरे,
एक दिन के लिए ही सही, मुझे तू सबसे अमीर मान ले..

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29 DEC 2023 AT 5:55

नाराजगी और शिकवे तो अपनों से होते है,
गैरो से तो सिर्फ तजुर्बे होते है...

नीला वो आसमान और यह समुन्दर
छलावा है कुदरत का...

जज्बात संभले तो समझ आया,
जिन्दगी में तो इससे भी बड़े धोखे होते है..

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22 DEC 2023 AT 15:16

नए साल एक नया रिश्ता हम बनाए
क्यू ना नए साल खुद से ही हम एक नया रिश्ता बनाए

कुछ वादे करे खुद से इस शिद्दत से..
की चाह कर भी हम मुकर ना पाए,

गम ए दर्द और अधूरे ख्वाबों को अपना राजदार बनाए,
सीखे सबक ठोकरों से ऐसा, की नए साल एक भी कदम लड़खड़ा ना पाए...

अपनी कमजोरियों को पुराना मेहमान बनाए...
साल शुरू होते ही उनको बाहर का रास्ता दिखाए,

मेहनत और लगन को इस कदर अपनाए,
की सफलता खुद आपकी दोस्त बन जाए...

सफरनामे मुकद्दर के मुश्किलों से भरे रहेंगे
हौसला रख तू मजबूत इतना की,
मंजिले भी तेरी माशूका बन जाए...

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2 NOV 2023 AT 0:28

ढूंढा तो बहुत था,

जब मुझमें, मैं न मिला,

तो तुम कहां मिलते?

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13 SEP 2023 AT 11:03

मुझे पता है मेरे सुकून का ठिकाना...

मगर वो शक्स अब मेरा नहीं...

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28 AUG 2023 AT 21:47

रकम-ए-तौर पर यादें सुनहरी और अधूरे वायदे छोड़ गया..
एक खरीदार था आया, जो रूह-ए-सुकून ले गया...

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14 FEB 2023 AT 22:09

बीते साल की तरह बीत रहा है आज का दिन मेरा...
कलम काबिज़ रही, कागज़ कोरा रहा मेरा...

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