Kunal Singh Solanki   (Kü|\|@L)
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Joined 27 July 2018


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Joined 27 July 2018
30 JUL AT 10:37

सुना तुम हमारा दिल संभालने आए हो
पहले यह बताओ कितने तूफान देख कर आए हो,

बहुत कुछ होता है पीट पीछे मेरे,
ज़रा सामने आकर बताओ कौन सा खंजर कौन सी धार लेकर आए हो,

दिन रात तराशते रहे जिनके लिए हम खुद को,
अब कहते है तुम तो अब बदले बदले से आए हो,

साखी बना चाहते हूं मैं जिंदगी भर के लिए तुम्हारा,
बेधड़क हर जाम के साथ जिक्र करो,
वो सारे गम जो दुनिया से छिपाते आए हो,

बड़ी देर से कर रहे हो गुफ्तगू तुम साथ हमारे,
ए भटके मुसाफिर तुम अब जाकर सही ठिकाने पर आए हो...

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25 DEC 2024 AT 15:51

दिल से दोस्ती करने का जरिया मैं ढूंढ लाया हूं,
एक रंगीन बक्से में मोहब्बत का दरिया भर ले लाया हूं

नहीं पता मुझे जिंदगी में क्या है ख्वाइश तेरी पाने की
पसंद आ जाए कोशिश मेरी ऐसी मैं मुराद मांग लाया हूं

होता कोई ख्वाब पता तेरा तो वो ही ले आता, मगर फिक्र न कर
जो लाया हूं वह किसी ख्वाब से कम भी नहीं लाया हूं,

यूं तो कई नजारे है निगाहों में कैद करने लायक...
मगर तोहफा पाकर तेरी आंखों की चमक देखने आया हूं....

ए शहर तू जाग जा तुझे एक बात बतानी है...
सुबह तक ज़हन में जश्न रहेगा,
की एक दोस्त के चेहरे पर मुस्कान देख आया हूं...

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13 OCT 2024 AT 20:05

बुरे वक्त में हि हुनर की "आजमाइश" होती है,
बुरे वक्त से हि हुनर की "पैदाइश" होती है,

कितनी तपी है तलवार, धार पाने से पहले,
मयान छोड़कर हि इस बात से "अवगत" होती है...

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10 OCT 2024 AT 11:20

सितारों को छुने वाला, एक दिन खुद सितारा बन जायेगा,

मिट न सके कभी, पीछे अपनी ऐसी रोशनी छोड़ जायेगा...

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8 OCT 2024 AT 21:25

ख्वाहिशें पूरी हो जाए, तो ख्वाहिशें नही रहती...
बारिश जमीन से मिलकर बारिशें नही रहती...
मंजिल मिल जाने पर सफर, सफर नही रहता...

होंगे कई जरिए बहालने के इस जमाने में, मगर ए दोस्त
तू मिल जाए तो यह तन्हा दिल, तन्हा नही रहता...

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25 SEP 2024 AT 21:50

चंद घड़ियां उधार लेकर, कुछ लम्हे गिरवी छोड़ गया,

एक शख्स, इस दिल को यादों का साहूकार कर गया...

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24 SEP 2024 AT 15:49

एक उम्र जो बीती, किसी का हो जाने में,
असल में महज़ वो दिन थे सिर्फ चार...

एक उम्र बीत रही है, बिना किसी के,
गौर किया तो वो भी दिन थे सिर्फ चार....

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15 SEP 2024 AT 19:30

दिल ए नादान को बहलाना आज भी जारी है,
कम्बख्त धड़कना छोड़ दे, यह तो अब होने से रहा...

ख्वाबों से समझोता भी बदस्तूर जारी है,
तुम याद न आओ, ऐसा भी अब होने से रहा...

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12 SEP 2024 AT 7:48

खड़ी जो दिवार तुम करते हो,
गिरानी भी तुमको पड़ेगी,

दौर ए मशरूफियत चल रहा है सभी का,

फिक्र तुम्हे है, तो पुकार भी तुमको ही लगानी पड़ेगी...

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8 SEP 2024 AT 17:09

झुलसती धूप के बाद ही तो, बारिशे सुकून ए सुहानी लगती है,

रिश्तों का एक सार है मेरे दोस्त,

वादे निभाने के लिए कभी कभी दूरियां भी निभानी पड़ती है,

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