कहती है अक्सर मुझे वो
कुछ पल के लिए अपने होंठों को शांत रख,
इस किताबी दुनिया के बहूत से अल्फाज
अभी बाकी हैं।।
की जिसे तुने दोस्ती का नाम दे रखा है ना,
गौर फरमा कभी उसकी आँखों में,
नफरते तो हजार अभी बाकी हैं।
दबाकर रख कुछ पल अपने दिल के अहसासों को,
अफसाने तो उस दिल में रहने वालों के हजार अभी बाकी हैं।
जीत लिया होगा तुने अपने दिल में रहने वालों का दिल शायद,
पर तुझसे नाराजगी हजार की अभी बाकी हैं।
संजो कर रख कुछ पल अपने सपनों को,
हसरते तेरे अपनो की हजार अभी बाकी हैं।
शायद रोया होगा तु खुद के लिए कभी,
पर तेरी खुशी उन सब के लिये अभी काफी हैं।।
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