रंगो से वहशत है मुझे दूर ही रहो मुझ से।
कोई हसीं था जो सभी रंग ले गया मेरे।-
मालिक तूही इस्म-ए-अबद के मानिंद हु-ब-हु है,
कायनात में तेरा ही जलवा हर-जा कु-ब-कु है.
पा ना सका कोई नासेह, तुझे राह-ए-गुज़र में,
हक़ तेरी रेहमते, हर इक बन्दे के रु-ब-रु है.-
शायद आख़री ही हो ये मेरा दौर-ए-गरदिशां,
या फ़िर इस शब-ए-वीरां की कोई सहर न हो.-
छेड़ दें धुन वहीं के दिल को भी सुकून मिले।
खो जाऊं मैं ख़ुदी में तुझ को भी जुनून मिले।-
हम तो आज़ाद है कहने को मगर क्या कहिए,
हक़ ओ बातिल में यहाँ इतनी कश्मकश क्यों है.-
तुम से जुदा हो कर नहीं वजूद मेरा।
मुझ से जुदा तेरा कोई ख़्याल नहीं।-
एक सराब ही तो है ज़िंदगी और क्या है,
हम तिश्नगी है और एक आग का दरिया है.-
कोई है यकीनन जो रंग भरता है इन फूलों में,
यहाँ क्यों इन इंसानो की बे-नूरी नहीं जाती.-
सब ख़ामोश है मगर दिल में कुछ बातें भी है।
दिन है वीरान भीड़ मै अजनबी सी रातें भी है।-
The people
once came & left,
Sorry dear........!
They can't find me any more.-