बोल रहा है अंतर्मन,
अब हक़ की आवाज़ उठाए।।
घुट रहा ज़न-ज़न का मन,
अब ना बैठो सलिल बहाए।।
ना हो भयभीत बस बढ़े चलो,
कोई कितना भीति दिखलाए।।
रोज़गार है बस पन्नों में,
फ़िर अंधभक्ती कोई क्यों दिखाए।।
हर तरफ़ जुमले फैले हैं,
अच्छे दिन के साध दिखाए।।
ना अर्थ बचा ना भू बचे हैं,
चले-चलो आवाज़ उठाए।।
देख रहे तुम झूठे सपने,
बस बैठे ये दिन गिनवाए।।
बोल रहा है अंतर्मन,
कब तक बैठोगे नीर बहाए।।
भारत का जिम्मेवार और हताश युवा...✍🏻
-
।।क्या लिखूं मैं तुझे
दवा लिखूं ,दुआ लिखूं
या ज़ख्म ए वफ़ा लिखूं मैं।
बेसब्र रातों की नींद लिखूं,
या बेचैन धड़कन की सुकून लिखूं।।
।।हर ज़ख्म पर ऐ मरहम
याद आता है तू।
बिना कहे वो हर एक बातो का समझना
याद आता है तू।
यु इस ख़ाली गगन मे तेरा चांद सा चमकना
याद आता तू ।
मेरी जन्नत, मेरी रहनुमा ,मेरी मोहब्बत
हर एक बात पर याद आता ह तू।।
।।अब इस ख़ाली गगन में रेत का मंजर है कोई ,
तेरी बातें अब हर ज़ख़्म पर लगे खंजर है कोई,
अब इस जमाने में अपना मरहम ना कोई,
गए अगर मर हम , ना पूछे भला गम है कोई।।
।।इस गगन के टूटते तारों सा है अब
जा चुकी उन बहारो सा है अब।
चाहे भी तुझे तो पा ना सके
उन ख्यालों सा है अब ।
तमन्ना हैं की समा जाऊं फिर से अब वहीं,
की लगे ना था मै , लगे ना हूं मै
लौट जाऊं वहा जहां मिले सिर्फ़ तू मै।।-
2mins of silence for all those who left their job in order to start up with a better one....and lockdown happened...😂😂😂 #RIPthoughts
-
अभी अभाव हैं ये सारे दुःख के प्रभाव है।
रोए मन बेकार ही, वरना ये तो दुःख का स्वभाव है।-
पलकों पर आंसु बन कर आया ना करो
मै इतना अकेला हूं, तुम नज़रें घुमा के जताया ना करो।
छोड़ दिया है अब, तो रहने दो न ये दिखावे
टूट जाता हूं अक्सर, मुझे देख कर यूं मुस्कुराया ना करो।-
लबों से जो तुम्हें सुनना हैं आ आंखो से बोल दू मै
तेरे बदन पर जो निशान दफन हैं क्या ज़माने में बोल दू मै?
-
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !
हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का,
ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता!
🙏🙏 Mirza Ghalib🙏🙏🙏🙏🤲🤲🤲-
राम गुड़ गाऊ में।
राम राम हो जाऊ में।
राम करदे ऐसे लीला।
राम प्रभू के दर्शन पाऊ में।-
चलो आज फिर एक नई शाम करते हैं।
अपना दिल फिर तुम्हारे नाम करते हैं।
तोड़ना है तो तोड़ दो ये दिल दुबारा,
आज घुटन सी हो रही है, तुम्हें बदनाम करते हैं।
-
हमे अपने नहीं चाहिए
अब और नए सपने नहीं चाहिए
टूटे है टूटे रहने दो
अब दो घुट लगाने को चक्खने नहीं चाहिए-