★दिल छोड़के जाने वाला ★
पत्थर समझता हैं मुझे,हर कोई मिलने वाला।
मेरा दिल ही ले गया,ये दिल छोड़के जाने वाला ।।
कतरा कतरा अश्कों का, समंदर बन गया।
पर अब कोई बचा ही नही,कश्तियाँ बनाने वाला ।।
कोई यहाँ पर भी रख दे,हो अगर मिल का पत्थर ।
एक अरसे से भटक गया हैं,ख़ुद रास्ता बताने वाला ।।
सोचा था हमने के जमकर पियेंगे, पर सूखे रह गए ।
क्या करे;लम्हा मिला ही नहीं, कोई याद आने वाला ।।
हो ही जाती अमर, मेरी भी प्रेम कहानी लेकिन।
मुझे मिला ही नहीं,ज़िल्ल-ए-इलाही कोई चुनवाने वाला ।।
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