★।। मेहनत ।।★
हर नार पे रखते हों नजर तिरछी, और सिखाते हो शराफत क्या हैं ।
अब तुम ही बताओ, ये नासाज़ सी आदत क्या हैं ।।
एक तेरे और मेरे बीच में,बस फर्क हैं कामयाबी का ।
वरना हम भी जानते हैं,हुनर-ए-मेहनत क्या हैं ।।
बहती धारा को मत सिखाओ,किस तरफ हे मुड़ना आदम ।
जो निकला है सफर पे,उसे मालुम हैं रुकावट क्या हैं ।।
हर पल तुम जो रहते हो मशगुल,कमाने में दौलत शौहरत ।
क्या अपने दिलसे कभी पूंछा हैं,की मिलकियत क्या हैं ।।
इस हाल-ए-दिल को रास आ गया,ये पिंजरा वरना ।
हम से बेहतर कौन जानता हैं,की जमानत क्या हैं ।।
और बंद करो अब तुम ये झुटी तालिमें धर्मों की ।
वो जानता हैं यहाँ,हर किसी की इबादत क्या हैं ।।
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