Harshal Chaudhari  
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Joined 9 May 2019


Joined 9 May 2019
27 AUG 2021 AT 12:12

★मेरे अपने★

एक अरसे से बात नहीं करते फिर सैलाब लाते हैं ।
ग़म में कोई नहीं होता खुशी में सब मिलने को आते हैं ।।

यहां किस-किस से हो जाऊं खफा इस उलझन में हूं ।
यहां तो सब पराए हैं पर खुद को अपना बताते हैं ।।

हो अगर हौसला तो ही समंदर से लड़ना ।
डूबता पाते ही नाव को चूहे भाग जाते हैं ।।

बारिश के तो एक बूंद को भी तरसे निगाहें ।
मिल जाए अगर दरिया तो सब हक जताते हैं ।।

यह वही लोग हैं जो महल में एक साथ रहते हैं ।
यह वही लोग है जो मलबे से भी पत्थर चुराते हैं ।।

तुमको भी मिल जाए यह गम ;
तो भरोसा सब्र पर हों आदम ।
यह याद रखना बुजदिलों की कब्र पर सब मुस्कुराते हैं ।।

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18 AUG 2021 AT 19:18

कल तक तुझमें मैं था और आज भी मुझमें तेरा बसेरा है ।
लेकिन तुम्हें;
जाना है तो बेशक जाओ,पर बाहर अभी अँधेरा हैं ।।
और ;
मेरे ख्वाबों में तड़प,नींदों में बेचैनी होती हैं ।
जब से धुंदला सा होता देखा तेरा चेहेरा है ।।
पर,
इसमें तेरी क्या गलती,ये तो दुनिया की रिवायत हैं।
मंजिल मिल जाने पर राहों पें कौन ठहरा है ।।
और लो,
आज फिर मैने एक ग़ज़ल बर्बाद कर दी ।
यह जानकर भी कि सारा जमाना बहरा हैं ।।

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11 AUG 2021 AT 13:11

★ शाम हों तो कहो ★

सरहद पर कोई,सुनेहरी शाम हो तो कहो।
दुशमन भी ना कर सके एतराज़,ऐसा कोई जाम हों तो कहो ।।

जो लड़ते नहीं, बस जंग का ऐलान करते हैं।
शहीदों में कहीं,उनके भी चरागों का नाम हों तो कहो ।।

छोड़ो बड़े नसीब से मिलती हैं,वीरों की शहादत ।
लपटा हो तिरंगे में कभीं अपना सीना, ऐसा कोई अंजाम हों तो कहो ।।

बरसों से सुन रहे हैं,राखी पे सुने हाथों की कहानी ।
अब किसी डाकिए के पास,मेरे बेहना का पैगाम हों तो कहो ।।

और भिगों दि सरहदे,दुश्मनों के खून से जवानों ने ।
वतन के दीमकों का कत्ल भी,कही सरेआम हों तो कहो ।।

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8 AUG 2021 AT 17:07

★।। मेहनत ।।★

हर नार पे रखते हों नजर तिरछी, और सिखाते हो शराफत क्या हैं ।
अब तुम ही बताओ, ये नासाज़ सी आदत क्या हैं ।।

एक तेरे और मेरे बीच में,बस फर्क हैं कामयाबी का ।
वरना हम भी जानते हैं,हुनर-ए-मेहनत क्या हैं ।।

बहती धारा को मत सिखाओ,किस तरफ हे मुड़ना आदम ।
जो निकला है सफर पे,उसे मालुम हैं रुकावट क्या हैं ।।

हर पल तुम जो रहते हो मशगुल,कमाने में दौलत शौहरत ।
क्या अपने दिलसे कभी पूंछा हैं,की मिलकियत क्या हैं ।।

इस हाल-ए-दिल को रास आ गया,ये पिंजरा वरना ।
हम से बेहतर कौन जानता हैं,की जमानत क्या हैं ।।

और बंद करो अब तुम ये झुटी तालिमें धर्मों की ।
वो जानता हैं यहाँ,हर किसी की इबादत क्या हैं ।।

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6 AUG 2021 AT 20:49

★।। मेहनत ।।★

हर नार पे रखते हों नजर तिरछी, और सिखाते हो शराफत क्या हैं ।
अब तुम ही बताओ, ये नासाज़ सी आदत क्या हैं ।।

एक तेरे और मेरे बीच में,बस फर्क हैं कामयाबी का ।
वरना हम भी जानते हैं,हुनर-ए-मेहनत क्या हैं ।।

बहती धारा को मत सिखाओ,किस तरफ हे मुड़ना आदम ।
जो निकला है सफर पे,उसे मालुम हैं रुकावट क्या हैं।।

हर पल तुम जो रहते हो मशगुल,कमाने में दौलत शौहरत ।
क्या अपने दिलसे कभी पूंछा हैं,की मिलकियत क्या हैं।।

इस हाल-ए-दिल को रास आ गया,ये पिंजरा वरना ।
हम से बेहतर कौन जानता हैं,की जमानत क्या हैं ।।

और बंद करो अब तुम ये झुटी तालिम धर्मों की ।
वो जानता हैं यहाँ,हर किसी की इबादत क्या हैं।।

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31 JUL 2021 AT 16:44

अब उसके शहर में, कोई ठिकाना तो मिला ।
मेहबूब न सही, मयखाना तो मिला ।।

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15 JUL 2021 AT 18:36

उससे कहता तो बात ही खत्म हो जाती ,
पर चुप रहा बस एक उम्मीद के लिए ।।

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8 APR 2021 AT 19:54

सांगना पाठवशील का माय रे आमची..........

आजी नाहीरे आईच होती ती आमची ।
होतिरे खूप जवळची कारे केलीस तु लांबची ।।
नाही रे घातली मी तिच्या आठवणींशी ही सांगड ।
बघ नाही केली तिच्या अंतःक्षणी रडन्याची ही भानगड ।।
कदाचित अश्रु या मुळे ही नाही डाटले ।
कारण ती नेहमी माझ्या सोबत आहे मला असेच वाटले ।।
आम्हा साठी होती ती देवी रे प्रेमाची ।
सांगना पाठवशील का माय रे आमची..........

दिवाळी असो वा दसरा किंवा उन्हाळाची सरं ।
नेहमीच आनंदाने भरलेले असायचे तिचे घरं ।।
तिने दिलेल्या दहा रुपयाला , होती किंमत लाखांची ।
पंच-पक्वान ही खाऊन झाले , नाही मिळाली चव तिच्या हातांची ।।
सांग आता कोठे शोधत फिरू , त्या उन्हाळाची सावली ।
आतुर झाले मन तिला पहाया , का हिरवली आम्हा बाळांची मावली ।।
खरच होती रे प्राण ती आम्हा सर्वांची ।
सांगना पाठवशील का माय रे आमची..........

जमलेली गर्दी फेडत होती , तिच्या पुण्याईची ऋण ।
मि मात्र हरवुन गेलो , आठवुनी तिच्या सहवासातील क्षण ।।
स्वतःचे दुःख विसरूनी ; दुसऱ्यांना मदत करावी , हे तिने शिकवले ।
धावपळीच्या या जगात ; मी कुठे चुकलो , हेही तिनेच दाखवले ।।
आजही आठवते सारे बालपन मला ।
सर्वांचे मन जिंकन्याची होती रे तिच्यात कला ।।
तुला नाही का रे कळले , ती आई होती या श्यामची ।
सांगना पाठवशील का माय रे आमची ।।
सांगना पाठवशील का माय रे आमची..........


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5 OCT 2020 AT 12:11

अब इन चरागों की जरुरत महफ़िल में हैं तो नहीं।
बस उसकी आँखों की रौशनी चाहिए सवेरा करने।।

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4 OCT 2020 AT 17:46

उसने रोका भी मुझे इस तरह,
की निकलना जरुरी हो गया ।।

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