QUOTES ON #JEEVDAYA

#jeevdaya quotes

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11 SEP 2020 AT 13:13

प्रथा और रीति दोनों में अंतर है रीति के साथ नीति जुड़ी होती है ,किन्तु प्रथा के साथ किसी के मन की बुनी हुई कोई कथा हो सकती है ,कभी प्रथाओं का पालन इसलिए ना करना ,क्यूँकि आपसे पहले किसी ने उस प्रथा का पालन किया था ,कई बार ये प्रथा इसकी स्थापना ऐसे लोग भी करते हैं ,जो दुर्बुद्धि होते हैं , स्वार्थी होते हैं ,तो किसी भी प्रथा का पालन करने से पूर्व ,यह दस बार सोचना ,कि जिस भी प्रथा का पालन किया जा रहा है ,क्या वो प्रकृति के अनुकूल है ,किसी जीव को उस प्रथा से हानि तो नहीं पहुँच रही ,या किसी भले व्यक्ति का अनिष्ट तो नहीं हो रहा ,इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी प्रथा का पालन करना और उसे अपनी आने वाले पीढ़ी को पालन करने को कहना उचित है ।

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8 SEP 2020 AT 13:20

किसी के पहनावे से आप उस व्यक्ति के अस्तित्व को नहीं जान सकते
क्यूँकि पहनावे तो बाज़ार में सभी किरदारों के मिल जाते हैं ,लेकिन किसी भी व्यक्ति की शख़्सियत पहनावा पहने हुए व्यक्ति के स्वभाव से झलकती है कि वो कैसे विचरण करता है समाज में , उसका संसार के सभी जीवों के प्रति कैसा रवैया है , कई बार कई लोग नक़ल करने के चक्कर में पहनावे के साथ - साथ किरदार भी वैसा बना लेते हैं परन्तु असल अस्तित्व उन लोगों का कभी साथ नहीं छोड़ता और एक ना एक दिन सच्चाई सामने आ ही जाती है असल किरदार निभाना और बात है लेकिन किरदार को जीना ही अहम है दुनिया में कुछ भी हो रहा हो तब यदि कोई व्यक्ति अपना किरदार सभी परिस्थितियों को सहते हुए भी निभा जाए तो पहनावा चाहे कैसा भी हो फ़र्क़ नहीं पड़ता ।

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13 JAN 2018 AT 18:53

जीव दया वाले न जाने इन मासूम पंखियों की मौत पैर क्यों जश्न मनाते है,
यह कैसा दोगलापन है,
सौक की खातिर चिड़िया को क़त्ल करे और ढोंग बहुत दयालु होने का रखें।

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