मेरी मात अभी हुई नहीं।
मैंने जीत को छुआ नहीं।।
मैं जीत को भी जीत लूं।
अभी वक्त वो हुआ नहीं।।
मैंने कदम बढ़ा लिए आगे।
न पीछे हटने वाला हूं।।
कोई और ना मुझको खा पाया।
मैं खुद का एक निवाला हूं।।
मैंने चांद पे टांगी है कुर्ती।
न रात से डरने वाला हूं।।
मुझे रोशनी का जुनून नहीं।
मैं जुग्नू सा मतवाला हूं।।
मैंने अंधेरों को चीरा है।
हां तेज अभी भतेरा है।।
मेरे सर के ऊपर छत नहीं।
मेरा गलियारों में डेरा है।।
मैंने खाली जेबें देखी है।
दिल भरा भरा है सीने में।।
एक दर्द उठा है अभी अभी।
कुछ ज़ख़्म मिलें हैं जीने में।।
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