दिल में तूफान लिए, हज़ारों अरमान लिए।
भरने को उड़ान, वो तैयार है पंखों में जहान लिए॥
कभी चहकती है खिलखिलाती है।
कभी मायूस भी हो जाती है ॥
पर लड़ने को मुश्किलों से,वो खड़ी है होंटो पें मुस्कान लिए॥
सच्चाई पसंद है उसको, अन्याय भाता नहीं है॥
करने को मदद वो सबकी, तैयार है हौसला महान लिए॥
अजीब आदतें भी हैं कुछ, गजब समझदारी भी है।
प्ररेणा है कईयों की वो, खुद प्ररेणा नाम लिए ॥-
By Professio... read more
खोई चीज़ को पाने में ज़माने लगेंगे।
हम लाश तो हो गए, अब बस ठिकाने लगेंगे।।
मेरी खुशियों का हिसाब मेरी उंगलियों पर है।
मेरे गम को बताने में मुझे मैखाने लगेंगे।।-
अपने किए कि सज़ा, कुछ इस तरह पा रहे हैं हम।
के अपने ही किए पे पछता रहे हैं हम।।-
हर रोज़ एक सफ़र से गुज़र रहा हूं मैं।
मानो जिंदा हूं पर गुज़र रहा हूं मैं।।
और गुज़र जाने की मेरे, दुआ में उठते हैं कई हाथ।
खुदा का करम है के दुओं से गुज़र रहा हूं मैं।।-
महज़ एक ही खुशी के साहारे जी राहा हूं अब।
गमों कि बरसात में भीगता मिला था उस से।।❣️-
अपनो के हाथों में खंजर।
खंजर में धार देखी है।।
मेरी जीत थी जिनसे।
मैंने उन्ही से अपनी हार देखी है।।-
मैं खोई खोई मुस्काती हूं।
फिर रो, चुप हो जी बहलाती हूं।।
फिर डगर पुरानी खोजती हूं।
फिर अपनो कि कुछ सोचती हूं।।
फिर नई राह की चाह लिए।
मैं मन के मोड़ को मोड़ती हूं।।
फिर याद न करने की चाह में मैं।
फिर याद वही कर लेती हूं।।
की हां नाराज़ हूं मैं।
नाराज़ हूं
कुछ अपनो से
कुछ सपनों से
कुछ ख्वाहिशों से
रिवाज़ों से
कुछ बंद पड़ी किताबों से।
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नादानी ने कर लिया अब तो किनारा हमसे।
समझदारों ने भी अक्सर लिया सहारा हमसे।।
थी तलब हमको भी टूटे और संभाले कोई।
ख्वाहिशों ने भी हमारी, कर लिया गुज़ारा हमसे।।-
कुछ आज़ाद पंछी से हैं हम।
चुनिंदा कैद का भी शुमार रखतें हैं।।
होंगे और नशे भी ज़माने में।
हम तो अपने कैफ़ का खुमार रखतें हैं।।-
दुनियां से दूर, खुद को खुद के करीब लगता हूं।
दुनियां से दूर, खुद को खुद के करीब लगता हूं।
और लगता होंगा तुम्हें इन दिनों अजीब मैं।
पर खुद को वाजिब और खुद का अज़ीज़ लगता हूं।।
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