वफ़ाओं को हदों तक क्यूँ सताया तुमनें
किसी के दिल से दिल को क्यूँ मिलाया तुमनें
जलते चरागों को नज़र लगनी लाज़िमी थी ,
हवाओं को संग-संग क्यूँ चलाया तुमनें
चांद है ज़ालिम न आएगा छत तक कभी ,
अंधेरो की चाहत में क्यूँ ख़ुद को गवायां तुमनें
पूछने वालों से बोलो मोहब्बत से पाकीज़ा कुछ भी नही ,
पाकीज़ा इश्क़ में क्यूँ ख़ुद को गुनहगार बताया तुमनें..!-
मेरी औकात से ज़्यादा नवाजा आपकी
आदत-सी हो गई है, नहीं भाता अब तेरे,
सिवा किसी और का चेहरा तुझे देखना
और देखते रहना दस्तूर बन गया है..!!-
कलम कहां रुकेगी जब तुम लिखने की दुआ दोगी....
तेरे दीदार से ही ठीक हो गया मैं अब तुम क्या दवा दोगी.. ♥ ♥ ♥-
इरादा किया कर पर वादा न किया
कर मोहब्बत किया कर पर ज्यादा,
न किया कर क्या पता ज़िन्दगी कहां,
बहाकर कर ले जाए तुम्हें मुझे लब चूमा,
कर पर इसे प्यासा न छोड़ा कर इरादा
किया कर पर वादा न किया कर..!!-
शायरी में जब से डूब चुकी हूं मैं
मुझे लगता है उन्हें भुला चुकी हूं मैं,
देखो अब चारों तरफ़ ख़ुशी है मेरे
थे कुछ ख़्वाब उन्हें भुला चुकी हूं मैं,
जो आज ख़ुद को पत्थर दिल बताते है
एक ज़माने में उन्हें रुला चुकी हूं मैं,
जब भी आइने से मिलता वो कुछ और कहता
अब जो मुझमें था उन्हें सुना चुकी हूं मैं...!-
पर्दा तो किया जाता है होशवालों से
बेनकाब ही चले आओ मैं नशे में हूं..!-
मैं जब बात करूं कुछ तुमसे,
तुम चुप से क्यों हो जाते हो
हर हिस्से की सांस तुम्हारी
रुक रुक कर क्यों आती है
मुलाकातें वो मुख्तसर सी ही
सही पर याद बहुत आती है
तन्हाई में अक्सर तेरा ख्याल
करते ही लब पे तबस्सुम आ जाती है.!
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तू ही मेरा रब चन्ना तू ही मेरा मक्का वे,
सामने बिठा के सारी उमर मैं तक्का वे.!
बस तेनु वेखि जवां न मैं नजरा हटावां
भूखीं हा दीदार दि मैं फ़कीरन तेरे प्यार दि..!-
ज़हर वेख़ के पीता ते के पीता
इश्क़ सोच के कीता ते के कीता
दिल दे के दिल लैन दी आस रख्खी वे
बुल्लेया प्यार में लालच ना कीता ते कि कीता..!
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जिस्म का सौदा करके तू
रूह की बात ना किया कर,
वक़्त देख के खेलने वाले हर
किसी को वक़्त मत दिया कर,
तुझे आदत जो लग गई दिल
तोड़ने की ऐसे कोई तेरा,
दिल ना तोड़ दे हर किसी
को अपना दिल ना दिया कर..!-