अरे बदल दो इन रीति रिवाजों को , क्योंकि सब भुल गए अपनी सीमा , पर समय नहीं भूलता ।
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सौदा चीजों का हि नहीं, खुशियों के भी होते हैं
हमें क्या पता पापा कब आते हैं ,कब जाते हैं क्योंकि उनके आने से पहले हम सो जाते हैं
मैं कहता हूं मेरे पिता सौदागर है जो खुद को दांव पर लगाकर परिवार की खुशियां ख़रीद लेते हैं-
ये मतलबी है दुनियां यहां राज ,को राज रखना
जीभ को दांतों से छुपाने जैसा है-
मंदिर मस्जिद देखे हैं,गीता कुरान देखा है
मैंने तो कहीं और ही भगवान देखा है
ना भगवा धारी ना मौलवी है
ना ईश्वर अल्लाह नाम कहे
जो आजकल है सब जगह, कोई डॉक्टर हो या जवान कहे ।
फुले फुले मेरी मिट्टी सदा,जज्बात मेरे काबू में है
असर है तेरी मानवता में ,ना झाड़-फूंक ना जादू में है
परिवार से रहते दूर सभी,फिर भी ना रहते हताश है
हम हैं खुशनसीब,आज हमारे पास है
धन्यवाद-
ये आसमा है छोटा ,कैसे मै पंख फैलाऊंगी।
कोई रोको ना कोई टोको ना ,जी भर के उड़ना चाहूंगी
सफर,सफर का क्या है ,फैसला बाकी है
सपने है मेरे कुछ , बस उनको जीना चाहूंगी ।
शक्लें है जानी पहचानी , फिर भी भाग रही हूं सबसे
बस और नहीं , अब खुद से जुड़ना चाहूंगी।
अब तो कंगन भी मेरे , जंजीर लगती है ।
फूटी हुई सबको मेरी, तकदीर लगती है।
मुझे कह दिया जाता है बदलता मौसम है तू
पर सच कहो तो, फिर भी बदलना चाहूंगी।-
कभी सोचा है कि मैं ,मैं ना होता तो क्या होता।
हाल आज का अच्छा है मगर, न होता तो क्या होता ।-
महफ़िल
महफ़िल से तेरे निकल जाने को यू ,
गलत ना कहेंगे।
ख़ुशी से तेरी खुशामदीद होगी ।
जिस सजदे में नाम तेरा हो , वहां हम ना रहेंगे ।
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क़ैद सब अपने ही घर में,
फ़िर भी दिल ना जाने किस की तलाश करता हैं।
खुदा के इस ज़लज़ले में,
सब जल्द ठीक होने की ये शख़्स दुआ करता हैं।।-
परिचय तेरे नाम का , प्रहार है संग्राम है
मुश्किलों में भी निडर रहकर जीना ।
श्री राम से सीखिए ।
सीखिए नारी का सम्मान , वचनबद्धता की पहचान ।
मर्यादा से निर्मित है जो, मानव को बल दीजिए।
श्रीराम से सीखिए ।
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