कुछ ख्याल   (कुछ ख्याल)
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Joined 3 October 2019


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19 AUG 2020 AT 15:05

जिंदादिली की मिसाल यही,
कोई जीता है कोई मरता है।
मतलब से भरे गलियारों में ,
कोई हंसता है कोई रोता है।
अमन चैन की बातें क्या ,
सब की दुआएं चाहता है।
भरी हजारों की भीड़ में ,
खुद खाली खाली पाता है

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18 AUG 2020 AT 13:54

दौलत पैसा सब मोह माया है कहने वाले।
हमेशा बड़े लोगों की चर्चा में रहने वाले।
खुद को उम्दा, बेस्किमती बताने वाले।
सब बढ़ी कीमत पर बिक ही जातें है।
मुखौटे पहने हजारों फिर भी
असली चहरे दिख ही जातें है।

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13 AUG 2020 AT 10:58

आशियानों से निकलकर, भूल जाएगी कभी तो
वक्त का ताबीज साहिल , है ख़ुशी या ना किसी को
ताल्लुकातों से परे है , देखा है यहां किसी को
मेरे घर का वो झरोखा जहां से दिखती चांदनी है।
जाने कब तक है मुकमल , जान फिर से बांधनी है।
बांट लेंगे हर गमों को, बांटना है हर ख़ुशी को।
मेरी सी छोटी कहानी , क्या सुनाऊं हर किसी को ।

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11 AUG 2020 AT 18:52

लोग चांद को देख कर ,
रज़ा करते है अपनाने की।
कोई कलम तो ला दें इस दीवाने की।
सितारों को रोशन किया करता था।
जो बात में समाए दुनिया , हजारों की ।
#राहतइन्दोरी

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7 AUG 2020 AT 21:58

उम्मीद है अभी तक काफिर ना हुए ।
चल पड़े अकेले मुसाफिर ना हुए।
तलाश में थे किसी की, जो खुद की ही तलाश है ।
डुबो दिया है खुद को फिर भी माहिर ना हुए ।

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5 AUG 2020 AT 8:24

या अब यूं कहें , आत्मीयता की पराकाष्ठा।
सरलता से मिलने वाले ज्ञान।
और परवरिश में , मां के लाड प्यार के साथ, पिता के सामाजिकता और कठोरता ।
कुछ से सब कुछ बनाती है।

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2 AUG 2020 AT 20:13

एक-दो दिन की छोटी सी
यू झूठी सी क्यों यारी है
खता फर्क ना दिखता सब में
हमें दरकार तुम्हारी है
बोल चाल में चाल चले
हर बार चले हम हारें है।
मानों तो हम गैर गैरों के
या अपने कोई तुम्हारे हैं।

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30 JUL 2020 AT 15:42

उल्फत का सा रिश्ता मेरा
रही सही सौगातों का
फिर विश्वास नहीं आता है
झूठी सच्ची बातों का
मरहबा है हमें भी
ग़दर से गुजरी रातों का
रश्क पनाहे लेता क्यों ना
सहारा तेरे हाथों का

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26 JUN 2020 AT 12:45

दूर होता होता सबसे,खुद के करीब हो जाऊं।
क्यों न पाकर सब कुछ,फिर से गरीब हो जाऊं।

इत्तिला करूं जमाने को,या तह में रुखसत हो जाऊं।
महफूज होना था जो कभी,अब सरेआम हो जाऊं।

डर कर मार दिए कुछ सपने,क्यों कर हराम हो जाऊं।
अरमान लिए फिरे दुनिया,अब बदनाम हो जाऊं।

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25 JUN 2020 AT 16:11

वक़्त से सख्त , मिजाज़ की रुआनी आई हैं।
फिर एक नई , दिलचस्प मेरी झूठी कहानी आई हैं।
माहौल के माहौल में रंग बदलना सीख गया हूं अब तो,
उन्हें लगता है , आज तो खड़ूस में नादानी आई है।

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