ये दुनिया "एक" परिवार है,
दीवारें गिराकर देखो तो सही।-
सोचूं तो शब्दों के दायरे बढ़ जाते हैं,
आज कल दिल उधार के ख्याल नहीं बुनता।-
शायद चाहकर भी तुम्हें ना पाऊं।
दिल को अपने समझा लूंगा मैं,
है यकीन मगर, मोहब्बत पर इतना,
दूर रहकर भी तुम्हें पा लूंगा मैं।-
यूं तो आदत नहीं मेरी,
आंसू बहाने की।
मगर तकलीफ़ तो होती ही है,
देख हैवानियत जमाने की।-
कभी आहट,
कभी खुशबू ,
कभी नूर से आ जाती है।
तेरे आने की ख़बर,
मुझे दूर से आ जाती है।-
वक़्त की क्या ही बात करूं?
रिश्तों से बड़े अब,
यहां व्यापार हो गए।
कुछ दिन दूर क्या रहा?
ऐ "वाईक्यू" तुझसे,
चाहने वाले भी दरकिनार हो गए।-
तेरी मुस्कान के,
बारे में क्या ही लिखूं?
कुछ खूबसूरत शब्दो की,
आज भी तलाश है मुझे।-
झूठ बोलना सीख रहा हूं अब मैं,
सच मैंने जब भी बोला, बस रिश्ते तबाह किए।-
बेरहम ज़िंदगी की चाल देखो,
बिछड़ गए दो चाहने वाले बगैर किसी बैर के।-
क्या ही पूछते हो दशा दीवाने की!
बस यूं समझ लीजिए अब आदत है,
हमें गम में मुस्कुराने की।-