Rãj Ŕòļļy 4 NOV 2017 AT 20:56 मेरे दिल को अब किसी से कोई गिला नहीं ,मन से जिसे चाहा वो मुझे मिला नहीं! वदनसीबी कहु या वक्त की बेवफ़ाइ ! अंधेरे मे एक दीपक मिला वो भी जला नहीं - Rãj Ŕòļļy 26 MAR 2018 AT 21:54 इश्क़ भी गजब का दस्तुर है जानाब ! शिकयते अच्छी नहीं लगती,खामोशी समझते नहीं ,वजह भी पुछना जरूरी नहीं समझते! - Krishna Jha 7 JAN 2018 AT 16:17 मुझे माफ़ कर देना, जो देर करता हूँ दिल में जगह देने को,रवैया मेरा भी मुझे कुछ सख़्त लगता हैं। -