हाँ नहीं है यकीन
हाँ नहीं है यकीन हमें उसपर,
जिसे कुछ लोग रब, कुछ ख़ुदा, तो कुछ भगवान कहते हैं,
हमें नहीं दिखा उसके होने का सबूत इस दुनिया में,
जो ख़ुदा ख़ुद मस्त ऊपर आसमान में रहते हैं,
अगर सच में है उसका वज़ूद कहीं, तो ख़ुद को साबित कर के दिखाये,
कभी किसी भूखे को खाना खिलाए,
या फ़िर किसी मासूम को बलात्कार से बचाए,
मुझे तो लगता है कि भगवान को भी अब सोने का मुकुट भाता है,
किसी गरीब का प्यार से चढ़ाया हुआ फूल उसे कहां नज़र आता है,
अगर ये सच है कि ये दुनिया उस उपरवाले ने बनाई है,
तो फ़िर उसे इस दुनिया को ढंग से चलाना क्यूँ नहीं आता,
क्यूँ अच्छाई की कोई कीमत नहीं यहाँ पर, बस गुनाह ही है फलता जाता,
अरे औलाद की रक्षा करना तो इक जानवर को भी आता है,
तो फ़िर क्या उसे अपने बच्चों का दुःख नज़र नहीं आता है,
अगर हर इंसान को उसने बराबर बनाया होता,
तो शायद इस दुनिया का मंज़र ही कुछ और होता,
अगर हर दिल उसने अच्छाई से ही भरा होता,
तो फ़िर शायद इस दुनिया में कोई गुनाह नहीं होता,
इस दुनिया हालत देखकर तो नहीं लगता कि भगवान यहाँ मौजूद है,
बस एक वहम पाल रखा है लोगों ने की उसका कोई वज़ूद है ।
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