#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल #hinfustanigazal
#मर्ज़_बढ़ते_रहे_पुराने_भी ।
मर्ज़ बढ़ते रहे पुराने भी ।
कुछ किया न असर दवा ने भी ।
कर रहे वो नई नई बातें,
हम सुनाते रहे फ़साने भी ।
पाप पे पाप जो किये जाता,
जाए गंगा में वो नहाने भी ।
रूठने पर कभी मनाता था,
वो लगा अब मुझे सताने भी ।
गलतियाँ भी बड़ी बड़ी उनकी,
अब बनाते बड़े बहाने भी ।
इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना- 17092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
17 SEP 2020 AT 22:18