QUOTES ON #HINDUSTANIGAZAL

#hindustanigazal quotes

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17 SEP 2020 AT 21:52

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #hindustanigazal #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल

#जीतना_हो_अगर_युद्ध_अधिकार_का

जीतना हो अगर युद्ध अधिकार का ।
तब मिलेगा तुन्हें साथ परिवार का ।

लुत्फ़ भी तो लिया था कभी प्यार का,
अब मज़ा भी चखो आप तक़रार का ।

और कुछ कर सको या नहीं कर सको,
पूछ लेना कभी हाल बीमार का ।

सीख बिल्कुल सही दे रहे आपको,
थाम लेना कभी हाथ लाचार का ।

हर सुबह शाम में फ़र्क़ कितना दिखा,
वो पलटते रहे पेज अखबार का ।

बेच सकते यहाँ हर नई चीज तुम,
भाँप लोगे अगर मन खरीदार का ।

रोज जाने लगे मंदिरों में सनम,
ये तरीका लिया ढूँढ़ दीदार का ।

इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 17002020
शिवपुरी मध्य प्रदेश

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7 JUL 2020 AT 14:00

ग़ज़ल
तुम्ही से प्यार करना है ।

मुझे तो आज ये इज़हार करना है ।
तुम्हें चाहा तुम्हीं से प्यार करना है ।

निभाएंगे मुहब्बत हम क़यामत तक,
तुम्हारे सामने इक़रार करना है ।

सुलझते गुफ़्तगू से हैं सभी मुद्दे,
यही करना नहीं तकरार करना है ।

खिलाने फूल ख़ुशबू के चलो यारो,
बहारों से चमन गुलज़ार करना है ।

वतन के नौजवानों को जगाने अब,
हमें पैनी क़लम की धार करना है ।

चाहते हो अगर मंज़िल मिले पहले,
तुम्हें भी तेज फ़िर रफ़्तार करना है ।

अँधेरा भाग जाएगा भरोसा रख,
क़मर को नूर की बौछार करना है ।

बढ़ेगी खूब रौनक़ उनके आने से,
बुलाने को उन्हें इसरार करना है ।

भगाने दुश्मनों को मारकर बाहर,
हमें हथियार हर तैयार करना है ।

अवधेश सक्सेना-07072020

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25 JUL 2020 AT 11:32

#अवधेश_की_ग़ज़ल
#बेवफाओं_से_प्यार_कौन_करे

बेवफाओं से प्यार कौन करे ।
ज़िंदगी शर्मशार कौन करे ।

आप कहते जो वो नहीं करते,
आपका एतवार कौन करे ।

इश्क़ जब भी किया मिला धोखा,
फ़िर इसे बार-बार कौन करे ।

अब शिकारी कहीं नहीं मिलते,
शेरनी का शिकार कौन करे ।

आग दिल की लगी जला देगी,
आपको होशियार कौन करे ।

जब बुलाया उन्हें नहीं आए,
उनका अब इंतज़ार कौन करे ।

वो नेता अब नज़र नहीं आते,
जंग अब आरपार कौन करे ।

अवधेश सक्सेना- 25072020
शिवपुरी म प्र

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30 JUN 2020 AT 13:35

ग़ज़ल
रोशनी रह गयी

चाँद रातें गयीं तीरगी रह गयी ।
जुगनुओं की मगर रोशनी रह गयी ।

जो लगे ऐश के दाग़ सब धुल गए,
दिल पे लिक्खी मगर सादगी रह गयी ।

जो अदावत कभी थी पुरानी यहाँ,
देख वो मिट गई दोस्ती रह गयी ।

आपने प्यार से बात जो मान ली,
आज इज्ज़त हमारी ढँकी रह गयी ।

इश्क़ में हो गयी खूब रुसवाई थी,
छाप जो लग गयी लगी रह गयी ।

रोग ऐसा लगा ये हमें इश्क़ का,
होश जाता रहा बेख़ुदी रह गयी ।

हम जुदा क्या हुए आपको छोड़कर,
ये जहाँ लुट गया ज़िन्दगी रह गयी ।

अवधेश सक्सेना
06062020

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