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#जीतना_हो_अगर_युद्ध_अधिकार_का
जीतना हो अगर युद्ध अधिकार का ।
तब मिलेगा तुन्हें साथ परिवार का ।
लुत्फ़ भी तो लिया था कभी प्यार का,
अब मज़ा भी चखो आप तक़रार का ।
और कुछ कर सको या नहीं कर सको,
पूछ लेना कभी हाल बीमार का ।
सीख बिल्कुल सही दे रहे आपको,
थाम लेना कभी हाथ लाचार का ।
हर सुबह शाम में फ़र्क़ कितना दिखा,
वो पलटते रहे पेज अखबार का ।
बेच सकते यहाँ हर नई चीज तुम,
भाँप लोगे अगर मन खरीदार का ।
रोज जाने लगे मंदिरों में सनम,
ये तरीका लिया ढूँढ़ दीदार का ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 17002020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
ग़ज़ल
तुम्ही से प्यार करना है ।
मुझे तो आज ये इज़हार करना है ।
तुम्हें चाहा तुम्हीं से प्यार करना है ।
निभाएंगे मुहब्बत हम क़यामत तक,
तुम्हारे सामने इक़रार करना है ।
सुलझते गुफ़्तगू से हैं सभी मुद्दे,
यही करना नहीं तकरार करना है ।
खिलाने फूल ख़ुशबू के चलो यारो,
बहारों से चमन गुलज़ार करना है ।
वतन के नौजवानों को जगाने अब,
हमें पैनी क़लम की धार करना है ।
चाहते हो अगर मंज़िल मिले पहले,
तुम्हें भी तेज फ़िर रफ़्तार करना है ।
अँधेरा भाग जाएगा भरोसा रख,
क़मर को नूर की बौछार करना है ।
बढ़ेगी खूब रौनक़ उनके आने से,
बुलाने को उन्हें इसरार करना है ।
भगाने दुश्मनों को मारकर बाहर,
हमें हथियार हर तैयार करना है ।
अवधेश सक्सेना-07072020-
#अवधेश_की_ग़ज़ल
#बेवफाओं_से_प्यार_कौन_करे
बेवफाओं से प्यार कौन करे ।
ज़िंदगी शर्मशार कौन करे ।
आप कहते जो वो नहीं करते,
आपका एतवार कौन करे ।
इश्क़ जब भी किया मिला धोखा,
फ़िर इसे बार-बार कौन करे ।
अब शिकारी कहीं नहीं मिलते,
शेरनी का शिकार कौन करे ।
आग दिल की लगी जला देगी,
आपको होशियार कौन करे ।
जब बुलाया उन्हें नहीं आए,
उनका अब इंतज़ार कौन करे ।
वो नेता अब नज़र नहीं आते,
जंग अब आरपार कौन करे ।
अवधेश सक्सेना- 25072020
शिवपुरी म प्र-
ग़ज़ल
रोशनी रह गयी
चाँद रातें गयीं तीरगी रह गयी ।
जुगनुओं की मगर रोशनी रह गयी ।
जो लगे ऐश के दाग़ सब धुल गए,
दिल पे लिक्खी मगर सादगी रह गयी ।
जो अदावत कभी थी पुरानी यहाँ,
देख वो मिट गई दोस्ती रह गयी ।
आपने प्यार से बात जो मान ली,
आज इज्ज़त हमारी ढँकी रह गयी ।
इश्क़ में हो गयी खूब रुसवाई थी,
छाप जो लग गयी लगी रह गयी ।
रोग ऐसा लगा ये हमें इश्क़ का,
होश जाता रहा बेख़ुदी रह गयी ।
हम जुदा क्या हुए आपको छोड़कर,
ये जहाँ लुट गया ज़िन्दगी रह गयी ।
अवधेश सक्सेना
06062020
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