आज सारी उसकी यादो को निकाल कर फेक दिया मोहब्बत के सारे पन्नो को जलाकर फेक दिया तोड़ कर मोहब्बत के सारे कानून कायदे आज हमने भी किसी को मुस्कराकर देख लिया
ज़िन्दगी में ना ख़ुशी है ना ग़म है, हाय! ये कैसा जख़्म है, ये दिल को दिया हुआ वो जख़्म है, ना कभी तूने भरा इस जख़्म को, ना किसी को भरने दिया , बस चुभता है ये एक काटे के भाती हर पल याद दिलाता है तेरी, इस सीने में धड़कते हुए इस दिल को।