रूखे फीके लम्हो में रंग भरते रहिएगा,
हम जा रह खुदा हाफ़िज़ फोन करते रहिएगा,,
मुस्तकिल ठहरने को हम कह नहीं सकते,
लेकिन रोज़ थोड़ा थोड़ा सा याद करते रहिएगा,,
खैरियत लेने का बस यही तरीका है,
ज़हन के ख्यालो में यूँ ही एहसास बनके रहिएगा,,
मेरे अहबाब एक दूसरे से यूँ ही उल्फ़त रखना,
रिश्ते निभाने का बस यही अंदाज़ बनाए रहिएगा,,
जा रही हूँ थोड़ा सा अपनों से दूर,
या खुदा मेरे अपनों पे यूँ ही करम बनाए रहिएगा,,
सुनो मेरे रहबर दिल दुखने वालों को राहते नहीं मिलती
वह जो सबका मालिक हैं उससे डरते रहिएगा..!
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