Mind is the most powerful
constant force that remains
in a person till death.-
नरेश कुछ भी समझ पाता इससे पहले नंदिनी ने कहा, "आप मुझसे एक वादा कीजिये"। नरेश ने नंदिनी की आवाज में भरे दर्द और भारीपन को महसूस करते हुए बहुत प्रेम से कहा, "तुम मेरी पत्नी हो, और मैंने तुम्हारे साथ सात फेरे लेते हुए यह भी वचन लिया है कि तुम्हारे हर सुख-दुःख में तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी हर इच्छा पूरी करना मेरा फ़र्ज़ है, इसलिए तुम बिना किसी संकोच के बताओ कि तुम मुझे कौनसा वादा निभाने का उत्तरदायित्व दे रही हो, मैंने स्वयं को तुम्हारे प्रति समर्पित कर दिया है और अब यह तुम्हारा पूरा हक है कि तुम मुझसे कोई भी वचन मांग सकती हो।" नरेश की यह बात सुनकर नंदिनी ने नरेश को कसकर गले से लगा लिया और कहा, "वादा करो तुम कभी मेरे साथ ऐसा नहीं करोगे जैसा मेरे साथ मेरे बीते दिनों में हुआ है और वादा करो कि तुम किसी भी लड़की के साथ कभी ऐसा होने भी नहीं दोगे।" नरेश ने बड़ी विनम्रता से पूछा कि वह किस बारे में बात कर रही है, यह पूछते समय नरेश को नंदिनी की आँखों में एक अलग तरह का दर्द दिखाई दे रहा था। नंदिनी ने आँसुओं की बहती धारा को पोंछकर गहरी सांस लेते हुए बहुत धीमी आवाज में बोलना शुरू किया, "यह बात उस समय की है जब मैं महज 11 वर्ष की थी.....
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मगर शादी से ठीक एक दिन पहले, जब हर लड़की की तरह मैं भी अपने वैवाहिक जीवन के ख्वाबों में लिप्त थी, तभी बीते वक़्त की बुरी यादों ने मेरे दिमाग में गहरी दस्तक दी जब मुझे यह एहसास हुआ कि मेरी माहवारी शुरू हो गई है। सुहागरात के वो सुनहरे ख्वाब कुछ ही क्षणों में मेरा अतीत बनकर मेरे सामने खड़े थे। अचानक से मेरे मन में मेरे होने वाले पति की छवि बिल्कुल बदल सी गई थी और बार-बार यही सवाल सामने आ रहा था कि क्या फिर से मेरे साथ वही सब होगा? इसी डर को गहनता से मन मे बिठाये मैंने शादी तो कर ली लेकिन जैसे-जैसे सुहागरात का समय नजदीक आ रहा था, वैसे-वैसे मेरे मन का दर्द और उन भयानक यादों का डर बहुत तेजी से मेरे भीतर बढ़ रहा था। दरवाज़े पर तुम्हारी दस्तक ने मेरे भीतर के भय को और बढ़ा दिया था। मगर तुम्हारी बातें सुनकर मुझे यह एहसास हुआ कि मुझे ज़िन्दगी में पहली बार कोई ऐसा मिला है जो मुझे समझ सकता है और जिसे मैं अपने जीवन का यह भयानक दर्द बता सकती हूँ। यह बोलते हुए नंदिनी के आँसुओं की धारा यूँ बह रही थी मानो वो एक अलग शाँति का प्रतीक बन रहे हो, और हो भी क्यूँ ना, आख़िर नंदिनी के जीवन का इतना बड़ा बोझ जो उसके मन से हल्का हो गया था। नरेश की आँखों से भी आँसुओं की धारा बह निकली, मानो वो सात जन्मों का वादा नंदिनी से कर रही हो। नरेश ने बड़ी देर बाद सिर्फ इतना कहा,
"I Love You" और उसने नंदिनी को कसकर गले से लगा लिया।-
यह बात उस समय की है जब मैं महज़ 11 वर्ष की थी, दुनिया की छवि मेरे लिए वैसी ही थी जैसी मेरी माँ ने उनकी मौत से पहले मुझे कहानियों में बताई थी, हर तरफ अच्छाई की चादर ओढ़े सज्जन लोगों से भरी ये दुनिया, यही मेरे लिए दुनिया और लोगों की वास्तविकता थी, दुनियादारी और सही-गलत की समझ से परे एक दिन मैं अपने घर से बहुत थोड़ी दूर शाम के समय बाकी बच्चों के साथ खेल रही थी, खेलते हए मेरा पैर एक पत्थर से टकराया और मैं गिर पड़ी, खड़ी हुई तो मुझे एहसास हुआ कि मेरी स्कर्ट के पास मुझे खून लगा हुआ दिखाई दिया। मुझे लगा कि गिरकर चोट लगने की वजह से वह खून आ रहा है। मैं खून देखकर डर गई और जवानी की नासमझी के साथ मैं दौड़ते हुए पास बैठे मेरे पड़ोस के एक चाचा के पास गई, जिनकी उम्र करीब 30 वर्ष थी। वहाँ जाकर मैंने उनसे कहा कि गिरने की वजह से मुझे चोट लग गयी है और मेरे खून आ रहा है, जवानी की समझ और दरिंदगी की सोच के साथ उसने मुझे अपने पास बुलाया और कहा कि तुम मेरे घर चलो मैं तुम्हारे मरहमपट्टी कर दूँगा। मेरी माँ की बताई हुई दुनिया की उसी सज्जन छवि को मन में बैठाये हए मैं उसके साथ जाने को तैयार हो गई, वहाँ वह मुझे एक खाली सुनसान घर में ले गया जहाँ कोई भी नहीं था। उसने मेरी स्कर्ट उतारी और मैंने देखा कि पूरी स्कर्ट पर खून दिख रहा था, जहाँ से खून आ रहा था उस जगह के लिए मुझमें महीन सी समझ थी, मैं कुछ बोल पाती इससे पहले...
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मैं कुछ बोल पाती इससे पहले उसने मुझसे कहा कि उसकी बीवी बच्चों के साथ मायके गयी हुई है और चोट की वजह से खून बहुत बह रहा है इसलिए अभी मुझे ही तुम्हारी मरहमपट्टी करनी होगी। माँ का साया सर पर नहीं होने की वजह से माहवारी से अनजान मैं बेवकूफ़ उसकी बातों में आ गई, और उसके बाद उसने अपनी हैवानियत दिखाई और 11 वर्ष की उम्र में मेरा यौन शोषण हुआ। माहवारी को चोट समझना और मेरी नामसमझी जब मुझे समझ आने लगी तक तक मैं उस हैवान की हैवानियत का न जाने कितनी बार शिकार हो चुकी थी। जब मुझे यह समझ आया तब ना मुझमें यह सब किसी को बताने की हिम्मत हुई क्योंकि माँ के जाने के बाद मेरे पिताजी को नशे की लत लग गई थी और वो पूरा समय नशे में रहते थे और परिवार में दूसरा और कोई भी नहीं था जिसको मैं यह सब बता सकती थी और न ही जीने की कोई चाह रही थी। जैसे-तैसे मैं उन हैवानियत से भरी यादों को मन में लिए घुट-घुटकर जीती रही। 21 वर्ष की होते ही घरवालों ने शादी करके विदा कर देने की जल्दबाजी दिखाई। इस नए बहाने से मैं अपनी पिछली बुरी यादें भूलने की कोशिश करने लगी थी और हर लड़की की तरह मैं भी अपनी शादी के खूबसूरत ख्वाब देखने लगी। कुछ ही महीनों में मेरी शादी तुमसे तय कर दी गई, और मैं सपनों में उस इंसान के लिए ख्वाब देखने लगी जिसके बारे में मुझे अच्छा-बुरा कुछ नहीं पता था, जिसको मैंने कभी देखा भी न था। मगर शादी से ठीक एक दिन पहले....
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अपनी सुहागरात पर हर लड़की की तरह ही यह 21 वर्ष की दुल्हन, नंदिनी भी घूंघट निकाले पलंग पर बैठी थी, तभी दरवाजा खुलने की आवाज आती है और वह देखती है कि उसका पति, नरेश दरवाजा बंद कर उसकी तरफ बढ़ रहा है, अपने पति को पास आते देख उसकी धड़कने बहुत तेज होने लगती है और वह घबराहट के मारे काँपने लगती है। उसके पति नरेश को जैसे ही इस बात का आभास हुआ तो उसने बहुत धीमे से अपनी दुल्हन का घूंघट उठाया, तभी उसने देखा कि उसकी दुल्हन की आँखों मे आंसू थे। पति ने बहुत प्यार से नंदिनी का हाथ पकड़कर उससे पूछा कि तुम्हें इस शादी से कोई एतराज़ तो नहीं? इतने में ही नंदिनी ने नरेश को कसकर गले से लगा लिया और फूट-फूटकर रोने लगी, नरेश को घबराहट होने लगी और उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं, नंदिनी के आँसुओ को नरेश अपनी गर्दन पर महसूस कर पा रहा था। असमंजस की मनोस्थिति के साथ नरेश ने समझदारी दिखाते हुए नंदिनी से इन आँसुओं के पीछे का कारण पूछा, नंदिनी ने अपना सिर नरेश के सीने से सटाकर बहुत ही धीमी आवाज में कहा, "I Love You", नरेश कुछ भी समझ पाता इससे पहले नंदिनी ने कहा, "आप मुझसे एक वादा कीजिये.....
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कोई ठुकरा दे किसी बात को
तो हँसकर सह लेना,
क्यूँकी मोहब्बत मे किसी बात की
जबरदस्ती नही होती।-
"Give up all desires and be perfectly satisfied, So that there is no need to be vigilant. Live your life without taking care of any control."
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