मौसम का भी अजीब मिजाज है।
जो कल था वही आज है।
हमने तो सोचा था की सभी, मौसम के जैसे ही खुशनुमा और खुशमिजाज है।
पर सच तो ये है कि, सबके मन में कुछ ना कुछ राज है।-
अपनी मुकद्दर ख़ुद बनानी है।
जेहन में जिद्द ये हमने ठानी है।
ये रगों में दौड़ रहा जो खून है।
दिखा देंगे, आग है या पानी है।_____
अब नई ज़िन्दगी की कहानी है।
नई मंज़िल नई रास्ता बनानी है।
लगी आग जो है, इन सांसों में,
रास्ते के ठोकरों को बतानी है।_____
विचारों की जो लगी बेड़ियां हैं।
पांव खींचने वालों की कड़ियां है।
बेड़ियों और जमाने के सामने,
अपनी बुलन्द हौसला दिखानी है।____
मिल के पत्थरों को पिघलाकर,
उनके पसीने से, गंगा बहानी है।
अपनी मुकद्दर के लिए ख़ुद को,
फ़ौलादी चट्टान सी बनानी है।_____-
एक
तेरी ही कमी थी
जिन्दग़ी में।
नहीं तो
बाकी सब तकलीफें
भरपूर थी।-
आंखो में उतरकर, प्यार समझ लेते तो क्या बात थी।
दिल में उतरकर, ज्जबत समझ लेते तो क्या बात थी।।
बताने से डाक्टर भी समझ लेते हैं इलाज बीमारी का।
बीन बताए, हर एहसास समझ लेते तो क्या बात थी।।-
माना कि जिन्दगी हैरान है परेशान है।
पर इसमें मेरा, कोई हाथ नहीं है
लोग कहने को तो साथ है पर
मेरी परेशानियों में, उन्हीं का हाथ है।-
पंछी किसी पिंजरे के मोहताज नहीं।
इन्हे स्वछंद आकाश चाहिए है।
पिंजरा कैदखाना है, घोसला नहीं।
इन्हे स्वछंद हवा में सांस चाहिए।
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आज मेरे शहर में बरसात हुई है।
अरसे बाद आज उनसे बात हुई है।
दिल बिहवल हो उठा उनकी आवाजों से
जैसे अंधेरे में जुगनू से प्रकाश हुई है।-
पास नहीं हो फिर भी एहसास जिंदा है।
साथ नहीं हो, तुम बिन प्यास जिंदा है।
ख़ुदा की मर्जी के आगे किसका चला है।
तुझसे दूर हूं, दिल में तेरा प्यार जिंदा है।-
मैं नादान हूं इस मोहब्बत की गली में, कोई रास्ता मुझे दिखाएगा क्या?
मेरा दिल खो गया है इस अनजान गली में, कोई ढूंढ़कर उसे लाएगा क्या?
अनजान शहर के अनजान कली से दिल लगा बैठा, कोई उसे बताएगा क्या?
मैं अनजान मुसाफ़िर ढूंढू कहां उसे कोई उसका पता बताएगा क्या?
मुझे मिले भी तो बोलूंगा कैसे, कोई उसे मेरे प्यार के बारे में बताएगा क्या?
उनको ऐतबार हुआ मुझपे तो ठीक, नहीं तो मैं यहां रहकर करूंगा क्या?
चला जाऊंगा इस शहर से मैं, कोई उनका खैरियत ताउम्र बताएगा क्या?
मैं अनजान सही, नादान ही सही उनका का दिल कभी दुखाऊंगा ना।-