घुठनों से रेंगते रेंगते,
कब मैं पैरों पर खरी हुई।
तेरी ममता की छांव में,
जाने कब मैं बड़ी हुई।
काला टीका, दूध मलाई,
आज भी सब कुछ वैसा है,
मैं ही मैं हूं हर जगह,
प्यार तेरा ये कैसा है।
सीधी साधी, भोली भाली,
मैं ही सबसे अच्छी हूं।
कितनी भी हो जाऊं बड़ी,
मां, मैं आज भी एक बच्ची हूं।-
20 AUG 2020 AT 2:44
22 AUG 2020 AT 11:31
क्योंकि जरों से ही हम हैं,
यहां मैंने जड़, मां बाप को कहा है।
जड़ पकड़ कर रहो,
क्योंकि वही जीवन का आधार है।-
9 AUG 2020 AT 16:59
की कितनी मुश्किलें आयी तुम्हारे
जीवन में।
इतने खुश क्यों रहते हो, कैसे रहते हो।-
20 AUG 2020 AT 16:38
एक मासूम सी बच्ची ने अपने पिता से पूछा,
क्या आप लौटोगे नहीं,
उस बच्ची को कया पता था की सरहद पर जाने वाले लोग,
अक्सर लौट कर अाने के ख़्वाब नहीं देखा करते हैं।-
21 AUG 2020 AT 11:23
वो लाल रंग ही तो है,
वही लाल रंग जो दुर्गा का प्रतीक है,
वही लाल रंग जो प्यार का प्रतीक है,
फिर हम लड़कियों से ये भेद भाव क्यों,
क्यों हम मंदिर मस्जिद नहीं जा सकती,
ऊन दर्द भरे दिनों में,
क्यों हमें घृणा भरी नज़रों से देखते हैं लोग,
जब पता चलता है कि हम माहवारी में है।
क्यों स्त्रियों की इज्जत नहीं करते हैं लोग,
क्यों उनके साथ दुष्कर्म होते हैं,
स्त्री तो देवी का प्रतीक होती है,
फिर उनके साथ ये जुल्म क्यों।-