QUOTES ON #ERAMGHAZALS

#eramghazals quotes

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4 OCT 2020 AT 10:22


तेरी आँखों को ही देख कर तुझपे भरोसा किया था,
अब जो टूट गया तो इसमें मेरी आँखों की खता है क्या।


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6 JUL 2020 AT 14:37

बिन रूठे भी कितने बार मनाया मैंने,
ना जाने किस बात का कर्ज़ चुकाया मैंने।

जो जिम्मेदारियां मेरी कभी थी ही नहीं,
उनका ज़िम्मा भी ख़ुशी-खुशी उठाया मैंने।

यहाँ से कुछ पाने की चाह नहीं थी मेरी,
पर मेरा क्या खो गया ये किसको बताया मैंने।

क्या ये खता थी कि कुछ ज़ाहिर नहीं होने दिया,
या फ़िर ये गलती कि की कुछ भी नहीं छुपाया मैंने।

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21 JAN 2021 AT 0:10

जिस खयाल को खुद से ही छुपाए रखा,
एक सवाल जो अपने सीने में दबाए रखा।

रूठे हम थे और देख रहे थे बेरुखी सबकी,
फ़िर हमने खुद से ही खुद को मनाए रखा।

गलतफहमी सच की जगह बैठी थी ज़हन में,
जो तुम्हें प्यार समझ के मन में बसाए रखा।

कितना मुश्किल है मिटा देना उन यादों को,
दिल की डाली में जिन्हें फूलों सा सजाए रखा।

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12 JUN 2020 AT 13:37

Dar-ba-dar main uski khoj mein bhatakti rahi,
Shaam-o-seher bas yaad usi ko karti rahi.

Na jaane kaise dil me basa baithi usko,
Aab-o-hawa mein apni, khud hi zehar bharti rahi.

Phir ik roz jo dekha maine use muskurate huye,
Pee kar apne aansu, uski khushiyon ki duaa karti rahi.

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6 OCT 2021 AT 21:03

अंजाम से वाकिफ थे, हैरानी नहीं हुई,
हमें उनकी बातों से परेशानी नहीं हुई।

ऐसा नहीं था कि दर्द नहीं हुआ हमको,
बस दिल पर और मेहरबानी नहीं हुई।

गलतियां हमसे और भी बहुत हुई मगर,
जो तुम्हारे साथ की वो नादानी नहीं हुई।


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29 JAN 2021 AT 21:40


हज़ारों गम ज़माने के एक तरफ,
दूसरी तरफ बस इंतज़ार होता है।

हो चुका हो जो दिल पत्थर का,
वो फ़िर कहाँ बेकरार होता है।

नफरत करने में उसे वक़्त लगता है,
जिसे एक पल में ही प्यार होता है।

बातें और इरादे सही भी लगें अगर
फ़िर भी नहीं दिल को ऐतबार होता है।

माना हमसे अब नहीं कहा जाता कुछ भी,
तुम्हारी ज़बां से भी कहाँ इज़हार होता है।

दिल ही से हो कर गुज़रते हैं सारे तीर,
दिल ही सारे ज़ख़्मों का पहरेदार होता है।

जी कर देखो हमारी ज़िंदगी तो जानोगे,
बिना मुनाफे का भी कोई कारोबार होता है।

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22 NOV 2020 AT 22:44

सर्द रातों की खामोशी को, तुम अपने आने की आहट दे दो।
मेरी सारी तसल्ली तुम रखो, मुझे अपनी सारी घबराहट दे दो।



एक आग जो भीतर जला करती थी, शायद अब ठंडी पड़ गई है।
ज़िंदगी फ़िर से पकड़े रफ्तार अपनी, तुम थोड़ी सी गर्माहट दे दो।



तुम कहते थे इतना सब्र रख पाना हर किसी के बस की बात नहीं।
अब और सब्र नहीं होता मुझसे, तुम ज़रा अपनी हड़बड़ाहट दे दो।



और नहीं संभलता बिखरा हुआ ये घर और टूटा हुआ ये दिल।
मेरी आँखों से दूर ले जाओ इनको, मुझे थोड़ी थकावट दे दो।

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15 OCT 2020 AT 10:54

तुझे भी सोचने पर मजबूर कर दूं तुझसे दगा कर के,
तुझसे पहले ही तुझे छोड़ देने का फैसला कर के।

अच्छा हुआ जो वक़्त रहते ही बचा लिया तूने,
मेरी सारी गलतफहमियों को मुझसे जुदा कर के।

जब काट ही रहे है बिना किसी गलती के सज़ा,
हम भी फ़िर देखे ज़रा कोई ज़फा कर के।

खामोशी ने दिल मे कुछ ऐसे जगह बना ली है कि,
जो भी कहना हो आँखों से कहती हूं इशारा कर के।

अब जो तुम जा रहे हो तो तुम्हें किस हक़ से रोकूं मैं,
कोई हक़ मुझे कभी मिला नहीं तुमसे वफा कर के।

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1 OCT 2020 AT 17:29

हक़ीक़त और कल्पना के बीच एक धागे में पिरो कर जीती आई हूं जिन सपनो को,
आज इस विरह की अंधेरी रात में मेरे पास आ कर पूछ रहे है कि कहाँ हूं मैं?

तेज़ हवाओं के झोंकें जो मुझे देख परेशान हो कर दूर से ही लौट जाया करते थे,
आज जो उनके साथ बहती जा रही हूं तो पूछ रहे है मुझसे कि कहाँ हूं मैं?

इस दहलीज़ को पार करना बहुत मुश्किल साबित होगा ये तो पता था,
दहलीज़ के पीछे कैद हो कर रह गई हूं अब,तो ये घर पूछ रहा है कि कहाँ हूं मैं?

सोचा था एक लंबी छलांग लगा कर देखूंगी उस पार से कैसी दिखती है दुनिया,
आज जब कुछ नहीं आ रहा नज़र,आँखे थक जाती है अगर तो पूछती है कहाँ हूं मैं?

रास्ते खोल कर अपनी बाहें, एक मुद्दत से बुलाते हुए कह रहे हैं कि अब आ भी जाओ,
मंज़िल को इतने करीब पा कर जब सपने टूटते हैं तो खुद से पूछना पड़ता हैं कहाँ हूं मैं?

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15 MAR 2021 AT 15:25

गले से एक बार तो लगाओ हमको,
दर्द कहां होता है ये बताओ हमको।

देखो हमारी आंखों में और फ़िर कहो,
मुमकिन क्या नहीं है समझाओ हमको।

एक बार पुकार के तो देखो दिल से,
आवाज़ अपनी कभी सुनाओ हमको।

कसमें, वादे हमने कब मांगे हैं तुमसे,
तुम हो, ये तसल्ली तो दिलाओ हमको।

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