मैं लेखकों की दुनिया का एक गुमनाम शायर
अपनी शायरी और नज्मों में
तेरा अस्तित्व ढूंढ रहा हूँ-
इस बार अश्क़ों के समंदर में जाम नहीं है
एक तूफ़ान है पर कोई नाम नहीं है.roa✍️
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बेवजह शामिल किया ज़माने को इस लड़ाई में
असल में ख़ुद से ही ख़ुद को जीतना था तन्हाई में.roa✍️-
दुआ है आज पहली बार आ फिर से बाँट लें ये प्यार
ख़ुदा के पास जाना है आ कल को आज कर दें यार
हवा मे जिस्म की तेरी महक हर बार आती है
जुदा हर बार होना है सज़ा एक बार कर दें यार
दुआ है आज पहली बार आ फिर से बाँट लें ये प्यार
ख़ुदा के पास जाना है आ कल को आज कर दें यार
जहां मे दीप के मालें सजे हैं जश्न में तेरे
शमा को दूर जाना है आ दिन को रात कर दें यार
दुआ है आज पहली बार आ फिर से बाँट लें ये प्यार
ख़ुदा के पास जाना है आ कल को आज कर दें यार
वफ़ा में ज़िक्र कर तेरी बहक हर बार जाता हूँ
खफ़ा हर बार होना है दफ़ा एक बार कर दें यार
दुआ है आज पहली बार आ फिर से बाँट लें ये प्यार
ख़ुदा के पास जाना है आ कल को आज कर दें यार.roa✍️-
❤️माँ ❤️
दिल में अरमानों का एक चेहरा हैं आप,
प्यार में आसमानों का पहरा हैं आप,
आरज़ू है मोहब्बत में इतनी फ़क़त,
रौशनी में हमारे सुनहरा हों आप,
रंग होंठों का उतरे तो गहरा हैं आप,
संग ज़ुल्फों का बिखरे तो सेहरा हैं आप,
आरज़ू है इबादत में इतनी फ़क़त,
छावनी में हमारे लहरायें आप,
दिल में अरमानों का एक चेहरा हैं आप,
प्यार में आसमानों का पहरा हैं आप!!!
जिस्म सर्दी के आँचल में कोहरा हैं आप,
सुर्ख गालों के घायल में मोहरा हैं आप,
आरज़ू है इनायत में इतनी फ़क़त,
चाँदनी में हमारे सबेरा हों आप,
दिल में अरमानों का एक चेहरा हैं आप,
प्यार में आसमानों का पहरा हैं आप,
आरज़ू है मोहब्बत में इतनी फ़क़त,
रौशनी में हमारे सुनहरा हों आप.roa✍️
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एक आइने की तरह जब तक आप उसमें हो
मानो सारी सृष्टि आपमे है
जैसे एक शिशु अपनी माँ के आँचल से लिपटा
उस गगन को देख रहा है जहाँ बिजली की घनघोर चमक है फ़िर भी उसे भरोसा है की ओ सुरक्षित है-
छोड़ आये हम उन बंदिशों की महफ़िल को
गर्दिशों में वीरानियाँ बहुत थीं
आँखों में दर्द छिपाना तो आसान था
ख़ुशियों में परेशानियाँ बहुत थीं
वो गलियाँ वो चौबारें हमें ख़ूब याद आयीं
पर उन यादों में तनहाइयाँ बहुत थीं
बड़ी मुश्किल से संभाला था तेरे लबों पे अपने प्याले का जाम
नशे से दूर रहने में भी ज़मी पे अंगड़ाइयाँ बहुत थीं.roa✍️-