ग़र कुछ भी नही तो सवाल पूछ लिया करो
अच्छा लगता है कभी हाल पूछ लिया करो-
कैसे जीते होंगे कैसे ख़ुद को समझाते होंगे
कैसा लगता होगा उन्हें जो तन्हा हो जाते होंगे-
ग़म पर कभी ख़ुशी का आ जाना
उदासी पर जैसे हँसी का आ जाना
यही सबसे बड़ी कमजोरी है मेरी
के यकीन हर किसी पर आ जाना-
ख़ुश भी रहे और मुस्कुराये मुझमे
ऐसा ही कोई शख़्स रह जाये मुझमे
मैं गली गली उसको तलाशता फिरूँ
वो दिल के कोने कही समाये मुझमे
अच्छाई पर वाह न करे तो नही गिला
पर कमी कोई मिले तो बताये मुझमे
जुनून सीने का कभी ठण्डा हो न सके
चिंगारी हौंसलो की वो लगाये मुझमे
मोहब्बत की नज़र से देखे सभी को
बस ऐसा ही इंसान वो जगाये मुझमे
समझे साजिद को साजिद की तरह
हसरत है बस वही नज़र आये मुझमे-
दिल हो साफ पानी जैसा एक ही धार में बहते हों
पता दे दो मुझे कोई अच्छे लोग जहाँ पर रहते हों-
गुज़र ही जाएंगे ये ख़्वार के दिन
फिर आयेंगे देखना बहार के दिन
यकीनन पुरसुकूँ हो जाएगा दिल
ख़त्म होते ही तेरे इंतेजार के दिन
कुछ दिनों ने दियें बड़े ज़ख्म मुझे
हाँ वही थे विसाल-ए-यार के दिन
मेरे कोल बर्क-ए-शरारा लगने लगे
जबसे चल पड़े हैं अग्यार के दिन
हाल-ए-बेबसी भला वो क्या जानें
जिसे न दिखे दिल-ए-ग़ुबार के दिन
बड़े बुज़दिल हैं तेरे दुश्मन 'साजिद
तेरे ग़म को कहते हैं करार के दिन-
ज़िन्दगी यूँही गुज़र जाए तब भी ठीक
कोई वादों से मुकर जाए तब भी ठीक
ये भी ठीक है मोहब्बत अभी जिंदा है
ये मोहब्बत भी मर जाए तब भी ठीक
दिल मे रहता है कोई तो अच्छा लगे है
गर वो दिल से उतर जाए तब भी ठीक
बड़ी हसरत थी की लोगो में इज्जत हो
ख़ैर कोई बदनाम कर जाए तब भी ठीक
मैं तो चाहता हूँ सब एक सफ में खड़े हों
ये ख़याल गर बिखर जाए तब भी ठीक
ख़्वाहिश थी दिलो में आबाद हो साजिद
मुझसे तुम्हारा दिल भर जाए तब भी ठीक-
ये दुनिया बेकार है प्यारे
तलवार की धार है प्यारे
मैने उसको रोते देखा है
किया जिसने प्यार है प्यारे
उसे तन्हाई नही डसती
जिसके पास यार है प्यारे
हयात मुझे जुआ लगे है
इसमे जीत हार है प्यारे
सबसे अजीम अम्मी हैं
उनपे जाँ निसार है प्यारे
कुछ भी नही है तू साजिद
यकीनन नाकार है प्यारे-
कभी इधर गया कभी उधर गया
तेरी तलाश में हद से गुज़र गया
कभी मिल तो तुझको बताऊँ मैं
तुझे खोकर कितना बिखर गया
जो मेरे साथ है बस तेरी याद है
हाँ तेरी यादों से ही मैं सँवर गया
मुझे इंतज़ार है तेरा आज तक
मत सोचना मेरा इश्क़ मर गया
लौटा हर तरफ से होकर मायूस मैं
उम्मीद लेकर जब भी जिधर गया
जब बचा ही ना कोई ओर रास्ता
साजिद स्याही कलम में उतर गया-
कोई लिखता ही नही है चाहत अब
शायद बाक़ी ही नहीं मोहब्बत अब
बस महँगाई सिर ऊपर चढ़ी हुई है
सबको ही चाहिये यहाँ दौलत अब
मिया कोई छोड़ गया सो छोड़ गया
तुम भी न करो उसकी हसरत अब
हरकोई ख़ुद को ही बस राजा माने
बताओ कोई कैसे करे इज्जत अब
गर कुछ बुरा हुआ तो घबराना क्यों
कुछ अच्छा करेगी ये क़िस्मत अब
मतलबपरस्त सभी के रिश्ते हुये हैं
साजिद तू बदल अपनी आदत अब-