वो एक तरफा ही सही प्यार तो था
जाने कौन सी तड़प थी
वो एक तरफा ही सही आग तो थी
पलट कर मुसाफ़िर लौटा नही करते
वो एक तरफा ही सही आगाज़ तो था-
मेरे आज़ाद पन्नों की तलब इतनी है कि वो आकाश को चीरके दिखाए
मेरे मन की जुस्तजू इतनी है कि वो दिलों को कुरेद के दिखाएं
मैं नही चाहता कोई दाग राख का मेरे दामन में
मेरे आत्मा की पहल इतनी है कि वो रूहों को छू के दिखाएं-
जब दर्द अपनी आयु से ज्यादा नसीब हो,
तो तजुर्बा उम्र का मोहताज़ नहीं होता।-
तुझे पाने की ज़िद ऐसी नहीं कि तुझे छीन लाऊँ,
मेरे आँसू आज भी तुझे मेरे करीब होने का एहसास देते हैं।-
लगता है कुछ नया होने को है,
तभी तो हवाओं में शोर है।
लगता है कुछ बड़ा होने को है
तभी तो बगावतों का ज़ोर है।।
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विचारों का विचारों से ही मेल नहीं होता,
और हम थे की बात बराबरी की कर बैठे।
मसलन हर रिश्तों में खट्टी मीठी यादों का ,बातों का ,ताना–बाना होता है ,
और हम थे की अपमान के घूंट पिए जा रहे थे।
हर शक्श समाज की नैया पकड़ कोई न कोई उपदेश दिए जा रहा था ,
और एक हम थे की नए विचारों के पौधे सींचने लगे थे।
सच है, हाथों को हाथों का ही साथ नहीं मिलता, नज़ाने कैसे हम लकीरों से किस्मत को नापने लगे थे।
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चुपके से लेकिन बड़े इत्मीनान से झाँक लिया था आँखों में तकियों की आड़ में जो आँसू बहाया था
शायद कोने से सब टटोलना था
बाकी बातें तो खुले आम करना था
नाज़ नही करती खुद पे
क्योंकि अकेले के फिराक में खुद को ठुकराना था
धीरे धीरे ही सही सब चादर ओढ़ ढंक लिया था
पर हवाओं का शोर किसको मुनासिब था
खुल गयी जब परतें तन के मन की
फिर से एकबार मैं खुद से खुद मिल रहा था।-
बातों के सिलसिलों में मुलाकातों का शोर था।
वो एक अजनबी ही सही पर कमाल का शक्स था।
पैरों की बैडियां जहां कदम रोक रही थी, तो मन के कसीदे उन्हें समझाने में व्यस्त था
पर हालत तो देखो वो एक दिलरुबा ढूंढने निकले थे और हम थे की दोस्त तलाश रहे थे।
शायद उन्हें ये कुबूल नही की दोस्ती प्यार में तब्दील हो पर शर्त ये है की प्यार जिस्मानी रूहानी जरूर हो।
वो एक अजनबी ही सही पर कमाल का शक्स था।
बातों के सिलसिलों में मुलाकातों का शोर था।
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बहुत कुछ है दुनिया को बताने को
दुनिया से छुपाने को
नाप तोल , माप तोल इस मापदंड के मायने
दुनिया के बहाने
कर ज़ोर आज़माइशें जितनी
बहुत कुछ है दुनिया को बताने को
दुनिया से छुपाने को।-
मुझसे मेरी सांसें छीन ली होती तो अच्छा होता
मेरा गुरूर छीन के अच्छा नहीं किया ऐ खुदा।
सबकी व्यस्तता में खुद को खाली पाता हूँ
मुझे मार दिया होता तो अच्छा होता
मुझे नज़रअंदाज़ करके तूने अच्छा नहीं किया ऐ खुदा।-