गाँव-शहर
बड़ा रुसवा हुआ हूँ तेरे गाँव वालों से मैं,
तुझसे मोहब्बत ना होती,
तो तेरी गली में धरना लगा देता,
लोग कहते हैं कि तेरी बस्ती से दूर रहूँ,
वहाँ जो भी जाता है टूट कर आता,
अब उन्हें कौन समझाए,
जो पहले से बिखरा हुआ है वह और क्या टूटेगा,
और एक दिन मेरे शहर वालों ने,
मेरे बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी,
बोले हमसे हमारे अतीत दुबारा नहीं देखा जाता।
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