अपनी आंखों से देख के सब
कैसे बन कर अंजान लिखूं।।
अपनी आंखों से देख के सब
कैसे बन कर अंजान लिखूं।।
मैं सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 1
To be continued...-
जिंदगी मेरी दाँव पर,
दाँव तेरे हाथ में
क्यों करू मैं चिन्ता भोलेनाथ,
जब तू है मेरे साथ में।-
मेरे बचपन का।
वो प्यारा एहसास
मेरे लड़कपन का।
वो प्यारा एहसास
मेरे बीते कल का।
आज भी मुझे याद आती है।
भूले ना भुलाई जाती है।
क्योंकि वो प्यारा एहसास,
बीते कल की याद दिलाती है।-
Which makes you fly
To the other world....
But,
When you express
It will let you drive
To such a tour that
You can never imagine.-
इन पत्तों की भी क्या कहानी है…
बस छोटी सी जिंदगानी है।
गर्मी सर्दी जारा बरसात…
सब सह लेती है यह चुपचाप।
मगर पतझड़ का जब मौसम आता…
जिंदगी इसकी वह छीन जाता।
पर नए आत्मविश्वास के साथ…
फिर से यह बाहर आता।
एक नई पहचान बनाने की राह में…
सूरज के किरणों से भी भीड़ जाता।
यूंही इसे कम मत समझना…
पूरे पेड़ को यह जीवन देता है।
एक मां की तरह…
कभी पेड़ को भूखे नहीं रहने देता है।-
चांद तारे और रात
अंधेरा लाता है सबको साथ।
बेटा हो या बेटी
दोनों में खुशी की है बात।-
तुझे मेरे रब ने बनाया
मैंने तुझे अपना बनाया
अपना बिछड़ना खुदाया
रब का शुकराना।।-
मैं दिखती हूं मां जैसी , सब कहते है।
सब कहते है , सच कहते हैं।
पर हूं मै अपने पापा की बेटी ।
पापा की हर बात मानती हूं,
मां जो कभी डांट दे तो बस
पापा ही है जो साथ देते है।
मां की ममता में कोई कमी नहीं
फिर भी मैं हूं अपने पापा की बेटी
पता नहीं क्यों……
लोग कहते है हूं मैं मां जैसी
सही ही कहते है सब, सच कहते है।
पर हूं मै अपने पापा की बेटी।-
मैं धूप की बेला
तू शीतल सा पानी।
मैं उगता सूरज
तू ढलता एक शाम।
मैं किस्सा एक अधूरी
तू जिंदगी है पूरी।
मैं रखता हूं कुछ दूरी
तुम कहते मिलना है जरूरी।-
रिश्ते जोड़ना चाहते थे,
पर रिश्तों को जोड़कर भी क्या करते,
रिश्ते निभाने वाले रिश्तेदार है ना रहे,
रिश्तों की एहमियत अब कौन जाने।-