Shubhang Dimri 7 JUN 2017 AT 22:19 नफ़रतों की एक दिन इन्तेहा हो जाएगीडर है मुझे उस दिन फिज़ा भी मज़हबी हो जाएगीमस्जिद से जो गुज़रेगी वो मुसलमान कहलाएगी मंदिर को छूने वाली हिन्दू हो जाएगी. - Shubhang Dimri 22 MAY 2018 AT 11:48 "Why did you choose to love a Muslim?""Love doesn't choose who you fall for." - Shubhang Dimri 12 MAY 2018 AT 11:34 दीवार पे टँगा आईना, वो चीख़ रहा था,देखो आदमी किस क़दर अकेला था। - Shubhang Dimri 18 MAY 2018 AT 22:20 बात तू मेरी मान ले इतनी,ईसा हूँ तो राम भी मैं।(सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में) - Shubhang Dimri 9 MAY 2018 AT 23:06 कल जलाया जब आग ने महबूब को हमारे,कर ख़तम किस्सा हमने आग को आग लगा दी। - Shubhang Dimri 10 MAY 2018 AT 16:47 वो बचपन की स्वेटर और ऊन के फंदे,बड़े होते ही कमबख़्त ज़िन्दगी उलझ गयी। - Shubhang Dimri 4 MAY 2018 AT 0:29 "What's the deepest point on earth?""Her eyes." I answered. - Shubhang Dimri 25 APR 2018 AT 21:52 Amidst all the "Wow! Awesome! Brilliant!" Genuine Appreciation lost! - Shubhang Dimri 18 JAN 2018 AT 13:47 नफरतों में हम इतने अंधे हो गए हैं,तन को ढांक, रूह से नंगे हो गए हैं. - Shubhang Dimri 2 MAY 2018 AT 15:34 तकमील-ए-आज़, ख़िसाल, रश्क क्या क्याउफ़! आज के दौर है जाने ये इश्क़ क्या क्या -