QUOTES ON #DEWASI

#dewasi quotes

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9 AUG 2020 AT 23:24

*जिंदगी का रवैया*

यह जिंदगी  घुमक्कड़ सी हो गई है
इसका कोई पता है ना कोई ठिकाना है
कभी रुलाती है कभी हंसाती हैं
कभी ऊंचे सपने दिखाती है
फिर ख्वाबों में बह जाती है 
लोगों के ताने इतने कर्कश हैं
कि वह मन ही मन वो पछताता है
फिर वही उजड़ी सी घुमक्कड़ जिंदगी में बह जाता है 
वही चेतन मन अचेतन हो जाता है
-चेतन देवासी

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11 SEP 2020 AT 11:16

भूतकाल में बिताए सुख ही वर्तमान दुख का मुख्य कारण होता है और भविष्य की बर्बादी का भी कारण होता है

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14 SEP 2020 AT 20:20

*हिन्दी मेरे जीवन में *

जिन्दगी का आरंभ , जिन्दगी का रंग ?
कैसे भूलू ? हिंदी के रंग रहेंगे मेरे जिंदगी के रंगों के संग
हिन्दी का पहला अक्षर ...अ...
जिस से हुआ मेरे जीवन का सफ़र आरंभ !
हिन्दी का पहला अक्षर ...अ...
जिसे खेल खेल में लिखना सीखा !
हिन्दी का पहला अक्षर ...अ...
जिसे पढ़ पढ़ कर गुनगुनाना सीखा !
हिन्दी का पहला अक्षर ...अ...
जिससे मेरा भविष्य बनना तय होगा ?
कैसे भूलू ? हिंदी के रंग , जीवन के संग
-चेतन देवासी

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11 SEP 2020 AT 23:44

*वीर सिपाही*
क्या लिखूं अल्फ़ाज़
उस से पहले मेरी कलम रों पङी उस भारत माँ के
वीर पुत्र के लिए जो हँसते हँसते भारत कि गोदी में शहीद हो गया...?
*वीर सिपाही*

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13 SEP 2020 AT 10:44

मन उपवन मैं पूष्प खिला है !


सुबह की रौनक सुबह की छाँव, सरस समीर के झोंके
मुक्त गगन में उड़ते पंछी, चिड़ियों की चहचाहटे
मंदिर , मस्जिद , गिरजाघर के बजते घंटी-टन-कोरे
सुबह का मनमोहक दृश्य कृषक जाते खेतो और खलिहान में
मन उपवन में पुष्प खिले है देख ग्रामीण परिवेश का दृश्य !
अचेतन मन भी चेतन हो जाता देख ग्रामीण परिवेश का दृश्य !

-चेतन देवासी

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27 SEP 2020 AT 17:20

⭐ बेटी ⭐
बेटी जब आई आँगन, खुशियों कि फ़ैली पवन !
बेटी जब आई आँगन,देख मन मोहक दर्शय
पिता भी हुए मन ही मन प्रसन्न !
बेटी जब आई आँगन, देख नन्ही परी की नटखट-रोनक माता को आया याद बीता वो बचपन!
बेटियाँ वो फूल है जो हर आंगन (बाग़) में खिलती नहीं !
बेटी जब आई आँगन, देख मन मोहक दर्शय
ईश्वर भी हुए अति प्रसन्न!
-चेतन देवासी

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10 SEP 2020 AT 2:45

कभी कभी भगवान के भरोसे मत्त बैठो,
क्या पता वह आपके भरोसे बैठे हो

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18 SEP 2020 AT 17:24

*जिंदगी का फिजूल*
जिंदगी का यह फिजूल है , गिरकर संभलना और फिर उठ कर चलना ।
कौन कितना साथ देता है यह पता चलता है ?
ज़िंदगी का फिजूल है , उचाईयों से गिरना फिर उठ कर चलना ।
कौन कितना साथ देता है यह पता चलता है ?
जिंदगी का फिजूल है , लोग तेरे मुँह पर तेरे और मेरे मुँह पर मेरे है ।
कौन कितना साथ देता है यह पता चलता है ?
-चेतन देवासी

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17 SEP 2020 AT 6:42

''समय अनमोल है''

इस महफिल से सजे संसार में, समय बड़ा बेढंगा है ।
इस जिंदगी की भाग दौड़ में, समय यूं ही गुजर जाता है ।
मैंने देखा है अपनी जिंदगी में, समय की तरह बदलते अपने है ।
मैंने देखा है इस मनुष्य रूपी जीवन में, खुद को खुद पर भरोसा नहीं ।
तू मत कर लालच मनुष्य रूपी इस जीवन में, समय बड़ा अनमोल है ।
तू कुछ कर गुजर इस जिंदगी में, समय बड़ा अनमोल है

-चेतन देवासी

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9 SEP 2020 AT 7:58

जिंदगी एक ना स्वर है
इसे संभाल कर रखिए

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