☆काश जिंदगी,सचमुच एक किताब होती☆
काश जिंदगी,सचमुच एक किताब होती........!!
पढ़ सकता मैं की,आगे क्या होगा.........!
क्या पाऊंगा मैं और,क्या दिल खोएगा.........!
कब थोड़ी खुशी मिलेगी,कब दिल रोयेगा.........!
काश जिंदगी,सचमुच एक किताब होती..........!!
फ़ाड़ सकता मैं उन लम्हों को,जिन्होंने मुझे रुलाया है..........!
जोड़ता कुछ पन्ने इसमें,जिसकी यादों ने मुझे हंसाया है.........!
हिसाब तो लगा पाता की,कितना खोया और कितना पाया है.........!
काश जिंदगी,सचमुच एक किताब होती..........!!
वक्त से आंखें चुरा कर,पीछे मैं चला जाता..........!
टूटे हुए सपनों को,फिर से मैं सजाता..........!
कुछ पल के लिए ही,मैं भी तो मुस्कुराता...........!
काश जिंदगी,सचमुच एक किताब होती...........!
☆चेतन देवासी
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