ज़िन्दगी के छोटे होने का एहसास तब होता है जब आप किसी अपने से रूठ जाएँ और वो आपको रूठा ही रहने दे। ज़िन्दगी बहुत छोटी है, ऐसे में किसी रूठे हुए को मना लेना एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र काम है।
क्योंकि कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी रूठे हुए को मना कर हम उसे बचा लेते हैं जिससे बचती है एक आस, बचता है विश्वास, बच जाती है फ़िर से प्रयास करने की हिम्मत, बचती है मुश्किलों से लड़ने की ताकत, बचता है हार न मानने का हौसला, और बच जाती है एक ज़िन्दगी !
असल में बहुत कुछ बच जाता है, सच कहूँ तो सब कुछ बच जाता है जो कि बस एक लापरवाही से जाने वाला था और शायद फिर कभी लौट के न आने वाला था।
और शायद इसलिए ही किसी महान विद्वान ने कहा है कि मार देने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।
तो आप भी किसी ऐसे रूठे हुए को उसके हाल पर मत छोड़ देना, उसे जाने मत देना, उसे बचा लेना क्योंकि शायद आपकी ही उसे सबसे ज्यादा ज़रूरत है...
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