ÄŘTIFIÇEŘ
शौक ये कैसा दिल में समा है
सीखने का तो मज़ा ही नया है...
टूटते, बिछड़ते राह है देखो
इसका भी एक अलग ही मज़ा है...
जख्म है पूराने, ये शायर नया है...
बेज़ुबान जान में अल्फाज़ ही भरा है...
करते ये बयाँ शायर में समा है....
समझने वाले अब जहा में कहाँ है...
उठते कदम का रुतबा बड़ा है,
सीखने का तो मज़ा ही नया है......
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14 MAY 2019 AT 0:17
1 SEP 2020 AT 10:51
#असंतुष्टी...
आज की दुनिया
*जो होगा देखा जाएगा*
और जब हो जाता है तो
Daylog change
अरे यार ये क्या हो गया
*ये सब देखने से पहले
मै मर क्यू नही गया*।। 😛-
20 JUN 2021 AT 13:41
डायलॉग
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क्यू रे हसना मना है ।तब भी हस रहा है ।ये तो तीस मार खा है।जंगल की लकडी की तरह हवा फेकी जल गये।बारिश हुए तो बुज गये। तू इंसान है कि परिंदा जहा खेत दिख वहा कूद गये। बादल गर्जा उड गये।अपनी मेहनत पे ध्यान रखो।नही तो बाजार में रास्ते पर बिखडे पड़े नजर आएंगे। जलती सडी की तरह ।तब दुसरो की उडती देख अपनी जलाके रखना। बैंक लूटना आसान काम नही है। मेरे मोहताज काम मे ध्यान दो।
अप्सरा ऐ तो आती जाती रहती है। बस धंधा मंदा होना नही चाहिये।
-@dnPatelGj21-