घटा बादल ,जुल्फ आँचल ,आसमाँ जमीं को चूमे है।
ये आज हुआ क्या है रश्क ए कमर बादलों बीच घूमे है।
जा बैठा कंदराओं में कोई,लगे फिर इंद्र का आसन डोले है।
लो मदन करके हिम्मत गए छेड़ने उसे जो बन बैठा भोले है।-
लगा था कि चाँद उतर आया है।
मगर नहीं वो अँधेरों का साया है।
खमोशी भी कतराने लगी कहने से।
धुंधलका इस कदर जो छाया है।
अकेला रह लेता था पहले वो भी,अबके
जो अकेले होने के ख़याल से घबराया है।
बेचारगी का आलम क्या कहें , कैसे रहें ।
कुदरत ने कैसा दिन इस बरस दिखलाया है।-
दिल के भीतर बसते हैं वो, खोजें बाहर, तरसते हैं हम।
मिल जाती जो एक झलक, कई दिनों तक हँसते हैं हम।
हम हैं मनमौजी,आवारा बादल,जो मिल जाय वो मनमीत।
नहीं देखते फिर कोई मौसम बस बेतहाशा बरसते हैं हम।
याद जो आएँ उनसे पहली मुलाकात के वो लम्हें जो मेरे थे।
उनकी सादगी का नशा ऊफ,उनके होठों से लरजते हैं हम।
वैसे तो रहते हैं, हम खुद में खोए-खोए, थोड़े गुमसुम,
लेकिन उनका जो हो एक इशारा फिर बहकते हैं हम।-
मुस्कुराना पड़ा।
वादा जो किया था मैंने खुद से
निभाना पड़ा।
आसमाँ का रखों अरमां जरूर,पर
पैरों तले जमीं रहे,
नज़रअंदाज़ जो किया पैरों की जमीं ,
ठोकर खाना पड़ा।
न मिलने की तो सोंच रखी थी हमने
लेकिन
प्यार से जो बुलाया उसने हमें भी
जाना पड़ा।
न चाँद न तारे न रोशनी मांगी, हमने बस
तेरी खुशी मांगी।
न कुछ भी जब माँगा उसने अपने लिए, हर चीज
को आना पड़ा।-
Energy and all else to me & to all indeed
Sun heat >ice melt river / pond & ocean> cloud > rain
Water> earth and sun light> photosynthesis> plant/ crops/ tree> food to human/ birds / small animal/ other animals
Sun>solar/ wind / ocean/river hydal energy> electricity> all kind of productions
Sun >trees> forest>coal>thermal power plant> electricity >all productions
Thus Sun sustains life on earth.
Thats why in Hindu tradition sun is treated as the visible God.-
रिंद कहते हैं न बुलाओ मयखाने में मुझे।
दिन ढल गया,पीने की भी तलब नहीं है।
इस दौर ए तबाही में भी जिंदा है कुछ लोग।
मौत को देना मात,कोईकम करतब नहीं है।
वो थे तो था मंजर भी हसीन ओ दिलकश
इम्तिहान है,मुस्कुराते रहो वो जब नहीं है।
पत्ता पत्ता बुटा बुटा बाग का उनको जाने है।
अवधेश तरसते घूम रहे क्या ये गज़ब नहीं है।
ये सफर है कुछ तन्हा सा सम्भलना विपिन में
कुछ तो राह कठिनअंजाना फिर रकब नहीं है।
सोंचा था,जब मिले थे हाथ, शागिर्दगी कर लेता
वक्त का सितम,देखो क्या कहें,'राहत' अब नहीं है।-
शाख से जुदा हुआ पत्ता ख़िज़ाँ के आने से।
हसरतें कई, जाग गईं ,उनके यूँ शरमाने से।।-
उन्होंने तो बता दिया अब तुम जानो
सुनना गुनना तुमको है।
घर पे ही रहकर खुद से छुपना, ख़ुद को
ढूंढना तुमको है।-
लब ख़ामोश आँखों पे तबस्सुम, शराबे इश्क का नशा।
इक ख़्याल था जहन में उसके,जहन में मेरे उतार दी।
एक घूंट जो उतरा हलक से नीचे, मत पूछो हाल फिर।
जहाँ में भेजा था जिसने हमें आखिर जिंदगी सँवार दी।
वो जो हमारा हुआ,हम ख़ुदी से गये,न रहा होश उन्हें
बची खुची उम्र फिर दोनो ने इंसां होने में गुज़ार दी।-