मेरे जाने के बाद ये बताना उसे..
सांसे कम थी फिर घर लाना उसे..
कमरा मेरा दिखा कर जाने को कहना..
कमरे के अंदर न लाना उसे..
पालीथीन मेँ लपेटे रहेंगे वो मेरी लाश..
तुम हाँथ न लगाना उसे..
तुम देखना मुझे मेरी तस्वीरों मेँ..
अख़बार मेँ ना आंकड़ों मेँ छपवाना मुझे..
सब काटते रहेंगे पेड़ आंगन के..
तुम बगीचों मेँ लगाना मुझे..!!-
हाथों मेँ जिम्मेदारी की जंजीर लगा के रखी है..
बरसों से बेटे न माँ से बात छुपा के रखी है..
यहाँ किसको आना था किसके हिस्से मेँ..
हमनें तो यूँही ऊँगली मेँ अंगूठी फसा के रखी है..
और मिलाना अब और होगा नहीं मुमकिन..
हमनें पंखे से अपनी एक गाँठ लगा के रखी है..
बरसों से बेटे न माँ से बात छुपा के रखी है..!!
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वहाँ बैठ कर भी रो गया हुँ मेँ..
तेरे वास्ते फिर से घर गया हुँ मेँ..
घर सब तेरी चाय पीने आते है..
और एक जूठा कप छोड़ गया हुँ मेँ..
तस्वीरों मेँ छापने वाले क़ी दाद देता हुँ
क़ी पुरानी अल्बम मेँ मर गया हुँ मेँ..
छुक-छुक करती रेलगाड़ी से डर गया हुँ
घर तेरा मेरे सामने निकला फिर आगे बढ़ गया हुँ मेँ.. !!
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# happy mother's day
माँ ने छालों मेँ भी रोटी सेंकी है..
इतना भूखा रहकर भी माँ कैसे सोती है..
बूढ़ी आँखों से सुई मेँ धागे पिरोती जाती है..
इतना थक कर भी वो कपड़े कैसे सिं पाती है..
एक ही साड़ी मेँ सालों गुज़र देती है..
बच्चों क़ी खातिर वो कपड़े उधार लाती है..
मै खाना खाने बैठू तो मुझे याद आती है..
माँ अक्सर दो रोटी कम खाती है..!!-
एक लड़की जो सड़कों पर पूछती फिरती है..
पुरानी कितबों को फिर बेचती फिरती है..
कभी कभी खड़ी होती है दुकानों के सामने..
और फिर दिन भर अपने पेट को कचोड़ती फिरती है..
देखती रहती है सड़कों पर गुज़रती गाड़ियों को..
और फिर ठेले पर पुरानी चादर मेँ खुद को समेटती फिरती है..
बड़े ताक से देखती है नये कपड़ों को, फिर कही शोरूम के बाहर..
फटे कपड़ों मेँ फिर भटकती फिरती है..!!
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प्रेमी सहेजे रखता है एक जिस्म को अंदर..
कितना खाली हो जाता है वो एक लड़की को रूह के बाद..
सरकारी अफसर
दुकानों
जमीनों को
बेचीं जाती है..
लड़कियों सिर्फ गहनों से लदे जिस्म के साथ..!!-
#18 april Happy birthday to me..
दिन नज़दीक आते जा रहे है जन्मदिन के मेरे..
टटोलते रहेंगे हाथ पुराने मैसेज को तेरे..
आंखे तकती रहेगी घड़ी को मेरी..
फिर निकल जायेगा दिन फ़ोन या मैसेज के इंतजार मेँ तेरे..
लोग केक लाएंगे और काटेंगे..
बस मोमबत्तियां जलती रहेगी जन्मदिन मेँ मेरे..
उम्मीद रहेगी क़ी आज तो तेरा फोन आयेगा..
फिर आंखे तकती रहेगी 12 बजे तक फ़ोन को मेरे..
ये बरस भी निकल जायेगा इस झूठ मेँ..
क़ी तुझे मेरे नंबर याद नहीं होंगे,
या फिर भूल गयी होंगी तू जन्मदिन को मेरे..!!-
एक पॉलीथिन की पतंग उड़ाते रहे हम..
वो खिलौनों से खिलतीं थी, रात भर खिलौने बनाते रहे हम..
वो स्कूल जाती थी साथ मेरे, रास्ते भर उससे दूर जाते रहे हम..
एक किसको आना था खेल के किसके हिस्से मेँ, एक उसके हिस्से मेँ आने को मार खाते रहे हम..
एक उसको पाने के खातिर उससे दूर शहर मेँ कमाने लगे हम..
आखरी बार उसको जाता देख कर, कार के पीछे दौड़ लगाते रहे हम..!!
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मेँ गुड़िया तेरे बचपन की..
कहीं पड़ी रही कहीं छूट गयी..
तुम बचपन के वादों को बड़े होते ही भूल गयी..
दिल के मेरे अंदर तक बरसों की धूल गयी..
तुझे याद नहीं रहा घर ले जाने का, तू मुझे रास्तों मेँ ही भूल गयी..
मेँ गुड़िया तेरे बचपन की..
कहीं पड़ी रही कहीं छूट गयी..!!
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#happy holi..
ग़ुलाल से भरी रही मुट्ठी मेरी..
हो गयी तू किसी क़ी, और याद तेरी..
मेँ सफेद कुर्ता पहन के बैठा रहा तेरी गली मेँ ..
तूने आँसू से गीली कर दी ग़ुलाल मेरी..
इस बरस भी हमने तेरे इंतजार किया..
फिर इंतजार ने पोछ दी ग़ुलाल तेरी..
इस बरस मेँ बरसों बाद घर लौटा..
फिर किसी और के हिस्से अ गयी ग़ुलाल तेरी..!!-