Ho agar dil mein pyar, toh usey jtaa bhi dena tum! Dil mein chhupey raaz,dil-khol bta bhi dena tum! Ho agarr nafrat hmey na samjhney k bawjud bhi, Toh hmari mout pe aa, bsss jraa sa muskra hi dena tum!
अलार्म बन जाती है मुझे उठा कर सो जाती है मेरे कामकाज के लिए सेक्रेटरी बन जाती है कोई भी रूप ले लेती है हमेशा साथ रहती है- पागल कर देती है, जहाँ मेरे एक हाथ में हाथकड़ी रहती है जो कि अवर्णनीय है" मुझे इस रसातल में भी नहीं छोड़ती, जहाँ वह मुझे नहीं पा सकती। उसे दूर करने के लिए मैं आँखें बंद करूँ, उसके सन्देश से मेरी आँखें खुल जाती है।.... ..
कोन आएगा बनकर मसीहा रोकने जुल्म की आंधी को स्त्री के दामन को छूने वाले कब सज़ा मिलेगी ऐसे अपराधी को कब तक यू जिस्म से खेला जाएगा कब तक दामन को कुचला जाएगा लाना होगा फिर से देश मे गांधी को कब सज़ा मिलेगी ऐसे अपराधी को दो दिन की बात फिर देश चुप हो जाएगा फिर कुछ दिन बाद किसी को रौंदा जाएगा कब तक उठने दोगे देश मे ऐसी आंधी को कब सज़ा मिलेगी ऐसे अपराधी को
अपर्याप्त सामग्री से हँसी का निर्माण करना उसकी आदत थी। वह नहीं जानती थी कि उसे क्या डर है, और वह क्या चाहती है: क्या वह डरती थी कि' मेरे अपराध में उसे शामिल किया जाएगा? और ठीक वही हुआ जो वह नही चाहती थी, वह नहीं जानती थी कि मैंने उसे बचाए रखा।