बुझाने आग इस सीने की,
लग जाए आदत हमें पीने की !
और फिर आदत पड़ जाए,
बिना तुम्हारे जीने की,-
और लगा उन्हें की हम बेजुबान हैं,
कर डाले हम पर शितम इस कदर
जैसे वही अकेले इंसान हैं !-
रूह तो सराबोर है उसके इश्क़ के रंग में ,
अब क्या कोई और रंग लगाऊं अंग में !!-
आये थे उसके शहर में किसी काम से,
नसीब देखो अब किसी काम के नहीं रहे !-
तुम बात समझते नहीं और
मैं थक चुका समझाते समझाते
तुम इश्क़ जताते नहीं और
मैं थक चुका जताते जताते
मैं तुम्हें सताता नहीं और
तुम थकते नहीं सताते सताते
मैं तुम्हें रुलाता नहीं और
तुम थकते नहीं रुलाते रुलाते-
अगर चढ़ाओगे
धतूरा - वो काम करेगा पूरा
भाँग - वो पूरी करेगा हर मांग
बेर - वो आने में न लगाएगा देर
गंगाजल - वो देगा मेहनत का फल
बेल - वो बनाएगा बिगड़े हुए खेल-
इब्तिदा-ए-इश्क करके दाम-ए-इश्क में फँसा कर तलब-ए-जिस्म रखते हैं !
-
कहने को तो
बहुत कुछ है मेरे पास,
पर मिले कोई सुनने वाला
तो बतलाएं उन्हें कि कहना है
हमें उनसे बहुत कुछ
जो एक अरसे से दबाये बैठा हूँ
इसी आस में कि वो आए और
सुने दास्ताँ मेरे दिल की
वो बातें जो उनके लिए
महज बातें है पर
हैं मेरे लिए हैं बहुत कुछ
-
क्योंकि हमको तुमसे प्यार है,
माना अपने बीच तक़रार है,
ये जो वक़्त की मार है,
होगी दूर एक दिन
मेरा तुमसे ये इक़रार है
और मुझे अब भी इंतज़ार है,
उस दिन का कहोगे तुम,
हमें भी तुमसे प्यार है !-