गम कितने छुपाकर रखती हैं वो...
.........बहुत खिलखिलाकर हंसती हैं वो..!!
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खामोशी छुपाती है
ऐब और हुनर दोनों
शख्सियत का अंदाज़ा
गुफ्तगू से होता है ।-
सारी दुनिया से वो अपने आँशु को छुपाती है
कुछ कहो तो हमे अपनी झुठी मुस्कान दिखाती है
बड़ी से बड़ी परेशानी से अकेले लड़ जाती है
सब का साथ पाके भी खुद को अकेला पाती है
अपने हर सपनों को दूसरों पे लुटाती है
कुछ कहो तो हमसे ही लड़ जाती है
अपने दुःख दर्द को वो बयान भी तो नहीं कर पाती है
कुछ कहो तो हमे ही हौसला दिलाती है
सारी दुनिया से वो अपने आँशु को छुपाती है
कुछ कहो तो हमे अपनी झुठी मुस्कान दिखाती है
गम में रह कर भी जीना सिखाती है
अकेले होके भी वो हिम्मत नहीं हारती है
पूरे दुनिया का ताने सुनती है
पर फिर भी परिवार को वो ही तो संभालती है
न जाने इतनी शक्ति वो कहाँ से लाती है कि
सारी दुनिया से वो अपने आँशु को छुपाती है
कुछ कहो तो हमे अपनी झुठी मुस्कान दिखाती है
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Mohabbat puch ke nahi ki jati
Nafrat bhi puch ke nahi ki jati
Par na jane kyu nafrat ki wajah janani hai
Shayad nafrat me koi baat chupati nahi
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मुस्कुराहट एक कमाल की,“पहेली” हैं...
जितना बताती हैं,उससे कहीं ज्यादा छुपाती हैं...-
क्यों तुम अपनी निगाहें मुझपे टिकाती हो,
कुछ तो बात है जो तुम मुझसे छुपाती हो।-
Nazare chupati hai nazare batati hai
Par nazro ko samajhane wali nazar naseeb walo ko mil pati hai
Kuch unhe dost kahte kuch unhe maashook
Jo nazro me bas jaye wahi hai dil ka marukh-