छायावाद-सी है जिंदगी मेरी
खुद की छाया से खुद ही
अस्पष्ट सी हूँ
रहस्यमय, चित्रमयी
जीवनदर्शन-सी हूँ
आत्मा में खामोशी है
पर परछाई मेरी
बहुत कुछ बोलती है
घने अंधेरे में खुद की
छाया को टटोलती है।-
13 MAR 2019 AT 22:10
14 MAR 2019 AT 21:15
जानती हूँ ,आंसू मेरे बहती धारा
में बह जाने है
नम आंखों के सागर में खुद को
डूबोकर किनारों तक पहुंच जाने
वाले है
चाहती हूँ, इस रहस्य का पौधा मेरी
आत्मा में ही उगता रहे
छायावाद-सा ये सफर सिर्फ
मुझसे होकर गुजरता रहे।
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