तेरे बारे में सोचते सोचते अब तो दिन गुजर जाता है, पर रातों का क्या करें जब तेरी याद आती है बैठ जाते हैं उठकर नींद से तेरी एक झलक देखने के लिए, क्या पता दीदार हो जाए तेरा ये सोच कर।
मौसमों में कुछ अब वो पहली सी बात नहीं रही अब, कुछ ऐसी तेरी यादों में याद नहीं रही अब, तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है अब, क्या करे अब तेरी कोई फरियाद नही रही अब।