तुम्हे चाँद कहूँ या कहूँ नूर,
रहते तो दिल मे हो, गर क्यों हो इतने दूर .. (¡)
मेरे गीत के हर अल्फाज़ में,
है तेरा ही सुरूर .. (¡¡)
तुझ से इश्क़ है बेशुमार,
मुझे तो इस बात का भी है गुरूर .. (¡¡¡)
नशा कुछ इस तरह है मुझ पर
तेरी महोब्बत-ए-रूह का,
तेरा नही, ये मेरी नज़रो का है कुसूर .. (¡v)
नVन-
अगर आदत ना बने, तो कोई नशा बुरा नही होता,
2-4 दफा गर तुम्हे सुन ना लू, देख ना लू, कमबख्त मेरा भी कोई हफ्ता पूरा नही होता ..
NB-
ये इश्क़ ही
तो है लहरों का
किनारे के लिए,
झटक भर
ही सही
मेहबूब से मिलने
बार बार
जरूर आती है ..
नVन-
चलो एक शाम को हसीन बनाते है,
संग एक दूजे के कही खाना खाते है ..
कुछ देर बाद तुम कहना - "तुम्हे अब जाना है"
मैं सोचूंगा कुछ देर और ठहर जाओ तुम, इस के लिए कैसे तुम्हे मनाना है ..
फिर देख मेरे चेहरे की उदासी, तुम बोली - "मैं कुछ देर और रुक जाती हूँ, आप चाय मंगवाए जनाब, हाल-ए-दिल अपना मैं भी तुम्हे बताती हूँ" ..
NB-
नज़र जो तेरी है "नवीन" पर,
देख अब कुछ नया होगा ..
नया इतिहास होगा, नया खिताब होगा,
जो होगा काबिले तारीफ होगा, जुबा से वो तेरी बयां होगा ..
NB-
बीती रात बड़े कमाल की थी,
कमी एक रुमाल की थी ..
पहले मैं रोया, फिर बरसा आसमान,
बात केवल इतनी सी थी, के बात तेरे ख्याल की थी ..
नVन-
तुम रिमझिम सी, बारिश सी नरम
मैं कड़क सा, चाय सा गर्म ..
हो गर बारिश तो मिल जाए चाय,
जिंदगी तो जैसे, वही थम जाए ..
NB-
अपने अल्फाज़ो को जब पंक्तियों में पिरोता हूँ,
तुझे याद करता हूँ, तुझ से बात करता हूँ ..
देख तेरी तस्वीर, मैं उसमें खो जाता हूँ,
तुझे अपने शब्दों में सजा के चैन से सो जाता हूँ ..
फिर मुलाकात तुझ से ख्वाबो में होती है,
बेहतरीन होता है हर वो लम्हा, जब तू मेरे साथ होती है ..
सुबह को जब मैं नींद से उठ जाता हूँ,
यकीनन तुझे अपने आस पास ही पाता हूँ ..
खुद को समझा कर, मन को बेहला कर, मैं अपने दिन की शुरुवात करता हूँ,
तुझे याद करता हूँ, तुझ से बात करता हूँ, महोब्बत मैं तुझ से बेशुमार करता हूँ ..
NB-