QUOTES ON #BEYOURINNERVOICE

#beyourinnervoice quotes

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26 DEC 2021 AT 23:59

अक्सर हम दूसरों से वही अपेक्षा रखने लगते हैं, जो हमने स्वयं अनुभव किया है या अपने साथ घटित पाया है। परंतु भावनाएँ और अहसास हर किसी के पास होते हुए भी, उनके अर्थ को हर कोई समान रूप से नहीं समझ पाता।
ज़रूरी नहीं कि जिस संवेदना से आपने जीवन को देखा और महसूस किया हो, दूसरा व्यक्ति भी उसी गहराई में उतर पाए। आपके लिए जो अनुभव आत्मा का कंपन हो सकता है, उसके लिए वह मात्र एक संयोग भर रह जाए।
हर व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण है, और होना भी चाहिए, क्योंकि यही विविधता जीवन को बहुआयामी और सार्थक बनाती है।

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1 FEB AT 20:51

आज की दुनिया में सबसे गलत है, खुद का सही होते हुए उसको साबित करने का प्रयास l किरदार निभाते निभाते खुद को उसमें इतना खो देना ।फिर एक दिन जिस मुकाम पर हम खुद को पाते है उसी को हम नियति मान स्वीकार कर लेते है।

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24 JUN 2024 AT 20:06

मजबूरी में किए गए प्यार या साधनो से प्यार,
कभी भी हमारी आदर्श नही रहे....
हां सुनिए आप उन्माद और सुकून के
बीच के बारीक अंतर की समझ
आपको कुरेद कर कभी नही आयेगी,
तपना पड़ता है समर्पण त्यागाग्नि में।
मानवीय समर्पण बाज़ार में उपलब्ध
होते तो क्रय विक्रय या वापस कर देते।
यह लहू रगो में एक बार प्रवाहित हो
जाए तो कितना भी नया चढ़ा लो,उसके
मूल वर्ग से अलग नहीं कर पाओगे

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20 JUN 2024 AT 20:56

अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा सांसारिक विषय में लगाते हम, सांसारिक ऊर्जा केवल भोगों के मध्य गोते खाती हमारी, वासना को तृप्त करने की अज्ञानता के पाताल में धसे हम, मैं और आप शायद ही अपवाद स्वरूप हो जो मूल उलझनों के पहाड़ न चढ़ा हो। हार जीत इस द्वंद में मायने नही रखती, किये गए प्रयासों और उनसे उपजा परम संतोष ही,मनुष्य जन्म सार्थक बनाता है।

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18 SEP 2024 AT 20:49

सारी रचनात्मकता आपके ख़ुद के अंदर पहले से मौजूद है, किसी की कॉपी करने के प्रयास आपको
आपके खुद के आधार से अलग करते है। जितने भी
उच्च कोटि के लेखक, दार्शनिक हुए उनके संवादों का मूल अधिकतर खुद से किये सवाल, संवाद ही है।

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9 JUN AT 21:51

अकेले होना और अकेले होते जाना, एक आम जीवन में काफी कष्टकारी होता है। ये भी सच है हम जीवन के किसी पक्ष में इसका सामना करते ही है। आप को खुद के साथ रहना जितना जल्दी आ जायेगा, आप खुद के और मानवीय जीवन के अनछुये पहलू से उतना जल्दी रूबरू हो पायेंगे।

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18 MAY 2024 AT 21:27

प्रेम एक ऐसी भावना है, जो है तो प्रत्येक प्राणी के पास परंतु इसका अहसास और आत्मसात् बिरले ही कर पाए हैl मेरे निज़ी विचार से यह शब्दों से परे है इसके सार्वजनिक प्रदर्शन के नाम पर , फूहड़ता को कभी सामान्य स्वीकारता नही दी जा सकती l

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17 SEP 2024 AT 20:27

सबकी अपनी प्राथमिकताएं है। आप जब भी किसी भी रिश्ते में हो और आपको लगे यहीं है वो जो आपके अधूरेपन को पूरा करता है उसका वो हिस्सा। तो केवल उसकी प्राथमिकताएं जानें , समझे आत्मसात् करने का प्रयास करे, कभी भी प्राथमिकता होने की जद्दोहद में न रहे ।

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11 SEP 2024 AT 21:37

आपको किसी अन्य व्यक्ति से क्या जोड़ता है ,
उसकी सुंदरता, उसकी प्रतिष्ठा या उसका ज्ञान , मैं इन सबसे इतर व्यक्ति की सहजता और सरलता से ज्यादा प्रभाभित होता हूं । एक वास्तविक इंसान अंत तक वैसा ही रहता है, भौतिक और सांसारिक परिवर्तनों के बाबजूद उसकी सहजता और सरलता सैदव अजेय ही रहती है।

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2 JUL 2024 AT 21:27

मैं तो बस मैं हूं ,मुझे आपका नही पता ! मैं गद्य लिखूं या पद्य , कहां नही कोमा कहां होना चाहिए , और विराम कहाँ उसका भी अल्प है ज्ञान मुझे ....लेकिन मैं उकेरूंगा वो सारी बातों को जिन्हें कहना सुनना जरूरी है, मन मस्तिष्क की संवेदनाओं को ढालूंगा शब्दों में.. तुम उसमें वहीं खोज पाओगे जो तुम्हारे अंदर है, वो नही जो मैने जीया, क्योंकि मैं तो मैं हूं और तुम .....

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