Choubey 1707   (CHOUBEY 1707)
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Joined 20 December 2021


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11 HOURS AGO

आपको इच्छा शक्ति उन सब लम्हों से रुबरु करवा देती है,जिनका वास्तविक जीवन में घटित होना असंभव हो।दूरदर्शिता अनुभव और मानवीय संवेदना की समझ किसी भी महान ज्ञान, उपलब्धि से लाखों गुना अधिक मायने रखती है। डिग्री आपके किरदार की पहचान तो हो सकती है, किरदार की खुशबू तो आपकी आत्मा में ही है और आपके बाद भी महकाती है।

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16 JUL AT 22:06

अपना दर्द सार्वजनिक करके, आप अंतकरण को एक नया दर्द दे रहें हैं। जबकि वो सबसे वाजिब वजह हो सकती है, खुद की क्षमताओं से रूबरू होने की। सुकूँ केवल आत्मा की रचनात्मक के प्रकट करने से आयेगा। तो जितना संभव हो रचनात्मकता के माधयम को नये आयाम प्रदान कीजिए।

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15 JUL AT 22:02

मजबूरी में किए गए प्यार या
साधनो से प्यार,कभी हमारे,
आदर्श नही रहे....हां सुनिए,
उन्माद और सुकून के
बीच के बारीक अंतर की समझ
आपको कुरेद कर कभी नही आयेगी,
तपना पड़ता है समर्पण त्यागाग्नि में।
मानवीय समर्पण बाज़ार में उपलब्ध
होते तो क्रय विक्रय या वापस कर देते।
यह लहू में रगो में एक बार प्रवाहित हो
जाए तो कितना भी नया चढ़ा लो,उसके
मूल वर्ग से अलग नहीं होता।

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14 JUL AT 22:17

ईश्वर के साथ प्रत्येक इंसान के अपने संवाद है, व्यक्त की प्रार्थना , मूक संवाद सब अपने गंतव्य तक पहुँचती है आपके उच्च स्तर भाव, और जो भावनाएं कही नही सुनी जाती महादेव उन्हे भी स्वीकार करते है।



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13 JUL AT 21:06

और एक दिन आपका सुकूँ ,आपके जीवन का सबसे बड़ा सबक बनता है ,उसके बाद कोई सुकूँ या सबक जीवन पर्यंत आपको प्रभावित नही कर पायेगा।

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12 JUL AT 19:41

हम सब जीवन यात्रा में कुछ न कुछ खोज ही रहे है लेकिन हमें मूल बात समझनी चाहिए ,जिसे हम जहां खोज रहे है क्या उसका वजूद है वहां। मैने ख़ुद पाया सामने वाले के भीतर अगर करुणा ,प्रेम अहसास, जैसे तत्वों की मौजूदगी नही है तो कितना भी बनावटीपन धारण करें ,कभी भीं उत्पन्न नही किया जा सकता । जो जहां है नहीं, वहां से उपजेगा भी नही ।

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10 JUL AT 2:36

लोमश के काकभुशुण्डि बने,
या बने परशुराम के कर्ण ,
एकलव्य से प्रारब्ध मिले या
अर्जुन से पुण्य खुद ईश्वर
गुरु रूप मिले।इस जीवन चक्र
लाखों रस तत्वमिले न मिले ,
बस मिले अमृत कुंभ रूपी गुरु तत्व,
जिसकी छाया भी पड़े अगर ,
काकभुशुण्डि चिरंजीवी बने ,
मर के भी न मरे कर्ण ।

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9 JUL AT 22:26

मुझे प्रेम किसी व्यक्ति या सुंदरता ने नही सिखाया
मैने प्रेम किया, क्योंकि मैने दुनियां में इसके अभाव को महसूस किया । हम कही न कही एक विरासत प्रेम की भी छोड़ते ही है ,अहसास करने से आत्मसात् किये जाने तक ,आराध्य के सम्मुख मन का अर्पण सा प्रेम कर पाए, तो वही सार्थकता है इसके अस्तित्व की।

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3 JUL AT 21:56

एक मायने भाग्यशाली वो लोग रहे जो प्रेम में ठुकराए गए , उन्होंने ही संसार को सच्चा प्रेम करना सिखाया । सबको सहज ही मंजिल मिल जाती तो एक भटकाव और पैदा करती।

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3 JUL AT 5:31

सादगी हमारी प्रेरणा है,परन्तु हमारे समारोह चकाचौंध की सीमा तोड़ रहे है। हम केवल फोटो के लिए प्रकृति के करीब है,असल में भौतिक सुख से कोई समझौता नहीं करते ,हमे केवल दूसरे का ही गलत नजर आता है। क्योंकि हम अपनी सही चीज पर फोकस नही करते। हम वर्तमान विरोधाभास में जीयेंगे , लेकिन हमारी उड़ाने आदर्श भविष्य की है।

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